प्रदेश में राजस्व पखवाड़ा मनाया जा रहा है और इसी महत्वपूर्ण समय पर भाजपा शासन की लापरवाही, नाकामी का दुष्परिणाम आज प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है। शासन की कुनीति से परेशान होकर पहले पटवारी और अब तहसीलदार और नायब तहसीलदार हड़ताल पर चले गए है|
प्रदेश में स्कूल खुल गगे है शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है। स्कूल खुलने के बाद इन्हें कई कामों के लिए आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र जैसे सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है और इन कामों के लिए पटवारी और तहसीलदार की जरूरत पड़ती है, लेकिन पटवारी और तहसीलदार तो सरकारी दफ्तर छोड़कर धरने पर बैठे हुए हैं।
इसी तरह खेती किसानी का सीजन भी शुरू हो गया है। खाद बीज की खरीददारी, सरकारी लोन के लिए खसरा नकल, ऋण पुस्तिका जरूरत पड़ती है इसके लिए यह भी किसान तहसील के चक्कर काट रहे हैं। इसके अलावा सीमांकन, बंटवारा, त्रुटि सुधार जैसे काम भी अटके पड़े हैं क्योंकि ना तो तहसीलदार काम पर है ना तो पटवारी काम कर रहे हैं।
तहसीलदार और पटवारी धरने पर छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के खिलाफ उनकी उदासीनता उनके अलोकतांत्रिक रवैये के खिलाफ बैठे हुए है। भाजपा सरकार की कुनीति का दुष्परिणाम अब प्रदेश के छात्र और किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
सबसे बुरी हालत तो स्वयं राजस्व मंत्री के क्षेत्र की है। बलौदाबाजार विधानसभा के सुहेला ब्लॉक में 42 ग्राम पंचायत के बच्चे और किसान परेशान है। इनके काम अटके हुए है।
साथियों पूरी भाजपा सरकार दिल्ली से ऑपरेट हो रही है, इनके हाथ बंधे हुए है और ये छत्तीसगढ़ की जनता के लिए नहीं दिल्ली में बैठे अपने साहब के लिए काम कर रहें है। पूरा मंत्रिमंडल समझ नहीं पा रहा है की शासन व्यवस्था कैसे चलती है। गृहमंत्री का क्षेत्र अपराध में अव्वल है तो राजस्व मंत्री के क्षेत्र में राजस्व अधिकारीयों की हड़ताल से बच्चे और किसान परेशान है। वित्तमंत्री तो रोजगार मांगने आये युवाओं से फण्ड की कमी बता रहें है|आदिवासी मुख्यमंत्री के शासन में सबसे ज्यादा पीड़ित आदिवासी स्वयं है।
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बैगा जनजाति, कोरवा जनजाति की हत्या कर दी जाती है। बीमारी से इनकी मृत्यु हो जाती है।
इनसे प्रदेश नहीं संभल रहा है लेकिन कोरी गप्पेबाजी और मोदी वंदना में सब अव्वल है।