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क्या है ‘डिप्लोमेटिक पासपोर्ट’, जिसका फायदा उठाकर फरार हो गए प्रज्वल रेवन्ना; क्या सरकार कर सकती है कैंसिल

नई दिल्लीः जनता दल (सेक्युलर) के कर्नाटक सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर कई महिलाओं का यौन शोषण का आरोप लगा है. वीडियो वायरल होने के बीच ही वे जर्मनी चले गए. उनके परिवार का कहना है कि रेवन्ना पहले से ही बाहर जाने वाले थे, और मामले से उनके गायब होने का कोई संबंध नहीं. इस बीच ये सवाल भी आ रहा है कि आरोप लगने के बाद सांसद को बाहर जाने की इजाजत कैसे मिली. अब विदेश मंत्रालय ने कहा कि सांसद के बाहर जाने को लेकर राजनैतिक मंजूरी नहीं ली गई, बल्कि वे डिप्लोमेटिक पासपोर्ट पर जर्मनी गए हैं. समझिए, आम पासपोर्ट से कैसे अलग है ये.

क्या बताया MEA ने

मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स ने मंगलवार, 2 मई को साफ किया कि प्रज्वल रेवन्ना डिप्लोमेटिक पासपोर्ट पर जर्मनी गए. इसके लिए MEA ने उन्हें कोई इजाजत नहीं दी, न ही वीजा जारी हुआ. बता दें कि जिन लोगों के पास ये पासपोर्ट होता है, उन्हें वीजा की जरूरत नहीं. इससे एक दिन पहले ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा था कि वे विदेश मंत्रालय और होम मिनिस्ट्री से आरोपी का पासपोर्ट जब्त करने को कहें ताकि उन्हें डिप्लोमेटिक ट्रीटमेंट न मिल सके.

क्या है डिप्लोमेटिक पासपोर्ट

ये पासपोर्ट नेताओं और कुछ अधिकारियों को जारी होते हैं, जो देश के प्रतिनिधि के तौर पर बाहर जाते हैं. कत्थई रंग के इस पासपोर्ट में 28 पेज होते हैं. इसकी वैधता वैसे तो 5 साल होती है, लेकिन कई बार ये इसपर भी तय होता है कि पासपोर्ट होल्डर कितने बड़े ओहदे पर है, या फिर वो किस तरह के काम के लिए बाहर जाता-आता रहता है. नॉर्मल पासपोर्ट 10 सालों तक वैध रहता है.

क्या सांसदों को ये मिल सकता है

नियम के अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा दोनों के ही सदस्य इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं. सांसदों के अलावा उनके जीवनसाथी भी MEA की वेबसाइट से इस पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकते हैं. लेकिन इससे पहले उन्हें दूसरा पासपोर्ट बंद करवाना होगा. ये काम नए पासपोर्ट के लिए अर्जी देते हुए भी किया जा सकता है.

सदस्यों को बाहर जाने से तीन हफ्ते पहले ई-पॉलिटिकल क्लीयरेंस लेना होता है. सांसद केवल राजनैतिक मकसद से ही नहीं, निजी यात्रा भी करते रहते हैं. इस दौरान नियम है कि वे कोई भी ऐसा काम न करें, जिससे प्राइवेट सैरसपाटा ऐसा लगे, जैसे वे भारतीय संसद के प्रतिनिधि के तौर पर आए हैं.

डिप्लोमेटिक पासपोर्ट पर पहले भी बात होती रही है. जैसे पिछले साल राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद उन्हें ये पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ा था. कुछ सालों पहले सरकार ने भगौड़े उद्योगपति विजय माल्या का राजनियक पासपोर्ट रद्द कर दिया, जिन्हें राज्यसभा मेंबर होने के कारण यह मिला था.

कौन जारी करता है डिप्लोमेटिक पासपोर्ट

इसकी प्रोसेस सामान्य लोगों के पासपोर्ट से अलग है. इसके लिए पासपोर्ट एंड वीजा कॉन्सुलर विभाग काम करता है. सरकारी काम से बाहर जा रहे अधिकारियों को यही विभाग वीजा नोट भी देता है. CPV अगर अप्रूवल दे तो डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रीजनल पासपोर्ट ऑफिस भी जारी कर सकता है.

क्या फायदे हैं इसके

इस पासपोर्ट को राजनयिक मिशन पर सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारियों की आधिकारिक पहचान का दस्तावेज माना जाता है. इस पासपोर्टधारी को कई इंटरनेशनल सुविधाएं मिलती हैं, जैसे होस्ट देश में उनकी गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती. कोई भी खतरा आने पर उन्हें सबसे पहले सुरक्षित देश से निकाला जाता है. उन्हें विदेशों में एम्बेंसी से लेकर यात्रा के दौरान कई सुविधाएं मिलती हैं.

अगर किसी के पास डिप्लोमेटिक पासपोर्ट है, तो ज्यादातर देशों में उनके लिए वीजा की जरूरत नहीं, या फिर अगर कहीं वीजा चाहिए भी तो इसकी प्रोसेस काफी तेज रहती है. इसके अलावा इमिग्रेशन या किसी भी औपचारिकता के लिए लाइन में खड़ा नहीं होना होता. लेकिन ये सब तभी होता है जब दो देशों के बीच डिप्लोमेटिक रिश्ते हों. तनाव या प्रतिबंधों से जूझते देश के साथ ये नहीं होता.

नेताओं के अलावा और किन्हें मिल सकता है पासपोर्ट

– विदेश यात्रा करने वाले भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी.
– विदेश मंत्रालय के लोग, जो सरकारी प्रतिनिधि के तौर पर आते-जाते हैं.
– अधिकारी के साथ विदेश यात्रा करने वाले आश्रित लोग.

क्या रद्द हो सकता है रेवन्ना का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट

MEA स्पोक्सपर्सन रणधीर जायसवाल ने पासपोर्ट निरस्त करने की बात पर कहा कि अभी के मामले में सरकार आरोपी का पासपोर्ट तभी निरस्त कर सकती है, जब कोर्ट का आदेश हो. पासपोर्ट एक्ट 1967 में इसकी बात है. फिलहाल इसपर किसी कोर्ट ने कोई आदेश नहीं दिया है.

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