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नवसारी से BJP के सीआर पाटिल को मिली अबतक की सबसे बड़ी जीत, कांग्रेस प्रत्याशी नौशाध देसाई को 7 लाख से ज्यादा वोटों से हराया

गुजरात की नवसारी लोकसभा सीट का परिणाम आ गया है. वहां बीजेपी उम्मीदवार सीआर पाटिल को अबतक की सबसे बड़ी जीत मिली है. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी नौशाध देसाई को 7,73,551 वोटों से हरा दिया है. जहां सीआर पाटिल को 10,31,065 वोट मिला है जबकि कांग्रेस के देसाई को 2,57,514 वोट मिला है. साल 2008 में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद बने नवसारी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में पहला लोकसभा चुनाव 2009 में हुआ.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने इतिहास बनाया है। उन्होंने नवसारी लोकसभा सीट से जीत का चौका लगाया है. इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल सात विधानसभाएं हैं. इन सभी पर भी बीजेपी के ही उम्मीदवारों को जीत मिली है. नवसारी लोकसभा में सात मई को तीसरे चरण के तहत मतदान हुआ था. बीजेपी ने तीन बार के विजेता सीआर पाटिल को ही फिर मैदान में उतारा था, जबकि इंडिया गुट से नौशाध देसाई उम्मीदवार पर दांव लगाया था.

मंगलवार की सुबह आठ बजे पोस्टल बैलेट से शुरू हुई वोटों की गिनती में सभी 17 राउंड के चुनाव में किसी भी राउंड या बूथ पर सीआर नहीं मिला. पाटिल को अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार नैषाद देसाई से कोई टक्कर नहीं मिली. प्रत्येक राउंड में सीआर. पाटिल को 77 फीसदी से ज्यादा वोट मिले. 17वें राउंड की गिनती के अंत में उन्हें कुल 10,31,065 वोट मिले और वह 7,73,551 वोटों के अंतर से विजेता घोषित किए गए. उन्हें जो बढ़त मिली वह गुजरात की सभी सीटों में सबसे ज्यादा और देश में दूसरी सबसे ज्यादा थी. बेशक, 10 लाख वोटों की पहली बढ़त इंदौर से बीजेपी उम्मीदवार शंकर लालवानी ने दर्ज की थी, लेकिन उनके खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार ने पर्चा वापस कर दिया था, इसलिए उन्हें यह बढ़त सिर्फ इसलिए मिल सकी,

आदिवासी वोटों की संख्या अधिक है

इस लोकसभा सीट पर यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र के मतदाताओं की संख्या लगभग पचास फीसदी है. जिले की कुल जनसंख्या 31,99,734 है. यहां आदिवासी वोटों की संख्या भी काफी ज्यादा है. कुल जनसंख्या का 12 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और दो प्रतिशत अनुसूचित जाति का है. नवसारी लोकसभा क्षेत्र को सातवीं शताब्दी में नवसारिका के नाम से जाना जाता था. 1 मई 1949 को नवसारी सूरत जिले का हिस्सा था. 1964 में जब सूरत का पुनर्गठन हुआ तो इसे वलसाड में शामिल कर लिया गया और 1997 में इसे एक अलग जिला घोषित कर दिया गया.

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