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यूएई और तालिबान के मोस्ट वॉन्टेड मिनिस्टर की हुई मुलाकात, क्या बात हुई

संयुक्त अरब अमीरात के नेता ने तालिबान सरकार के एक अधिकारी से मुलाकात की है. अबू धाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने सिराजुद्दीन हक्कानी से मुलाकात की है. ये मुलाकात इसलिए अहम हो जाती है. दरअसल हक्कानी तालिबान सरकार में एक्टिंग इंटिरियर मिनिस्टर हैं और अमेरिका ने जिन आंतकवादियों को मोस्ट वॉन्टेड घोषित किया है उनमें इसका भी नाम शामिल है. ये कितना खूंखार आंतकी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका ने उस पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है.

हक्कानी पर अमेरिकी नागरिक की मौत में शामिल होने और कई हमले करवाने का आरोप है. दोनों के बीच ये मुलाकात अमीरात की राजधानी में क़सर अल शाती महल में हुई है. बैठक में मंगलवार को तालिबान से निपटने के तरीके पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते विभाजन पर बातचीत हुई. पश्चिम देश अभी भी तालिबान को काबुल की सरकार के रूप में मान्यता नहीं देते हैं, मध्य पूर्व और अन्य देशों ने वहीं तालिबान से कई बार संपर्क किया है.

बैठक में किस पर बात हुई?

दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने और आपसी हितों, क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान करने के तरीकों पर चर्चा की गई. आर्थिक और विकास क्षेत्रों के साथ-साथ अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण पर ज्यादा केंद्रित थी. इसमें कहा गया है कि बैठक में तालिबान के जासूस प्रमुख अब्दुल हक वसीक ने भी हिस्सा लिया. वसीक को ग्वांतानामो बे में अमेरिकी सेना की जेल में वर्षों तक रखा गया था और 2014 में अमेरिकी सेना सार्जेंट की रिहाई के बाद रिहा कर दिया गया था.

सिराजुद्दीन हक्कानी कौन है?

हक्कानी, जो लगभग 50 वर्ष का माना जाता है, तालिबान के कब्जे के बाद भी अमेरिकी रडार पर बना हुआ है. 2022 में, काबुल में अमेरिकी ड्रोन हमले में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी की मौत हो गई, जिसने ओसामा बिन लादेन से सत्ता संभालने के बाद वर्षों तक संयुक्त राज्य अमेरिका पर हमला करने का आह्वान किया था. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, जिस घर में अल-जवाहिरी मारा गया वह हक्कानी का घर था. जबकि तालिबान ने तर्क दिया कि हमले ने 2020 के दोहा समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया. समझौते में तालिबान द्वारा अल-कायदा के सदस्यों या अमेरिका पर हमला करने की इच्छा रखने वाले अन्य लोगों को शरण नहीं देने का वादा भी शामिल था.

यूएई कर रहा है तालिबान की मदद

यूएई, जिसने अफगानिस्तान में तालिबान के पहले शासन के दौरान तालिबान राजनयिक मिशन की मेजबानी की थी, समूह के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, यहां तक ​​​​कि उसने देश में दशकों से लड़ने वाले पश्चिमी गठबंधन का समर्थन करने के लिए सेना भी भेजी है. कम लागत वाली संयुक्त अरब अमीरात स्थित वाहक एयर अरबिया और फ्लाईदुबई ने फिर से काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ान भरना शुरू कर दिया है.

हक्कानी नेटवर्क कितना घातक है?

हक्कानी नेटवर्क तालिबान के सबसे घातक हथियारों में से एक बन गया है. तालिबान और हक्कानी नेटवर्क अपनी सुविधा के हिसाब से एक-दूसरे का इस्तेमाल करते हैं. तालिबान को सत्ता में आने के लिए हक्कानी नेटवर्क ने दिल-ओ-जान से मदद की थी.समूह ने सड़क किनारे बम, आत्मघाती बम विस्फोट, भारतीय अमेरिकी दूतावासों, अफगान राष्ट्रपति पद और अन्य प्रमुख ठिकानों सहित अन्य हमले किए. ये नेटवर्क जबरन वसूली, अपहरण और अन्य आपराधिक गतिविधियों से भी जुड़े रहे हैं. हक्कानी ने खुद जनवरी 2008 में काबुल में सेरेना होटल पर हमले की योजना बनाने की बात स्वीकार की, जिसमें अमेरिकी नागरिक थोर डेविड हेसला सहित छह लोग मारे गए थे.

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