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कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को राहत, हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक

कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को पॉक्सो मामले में बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने उन्हें जांच में शामिल होने का निर्देश देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने उन्हें 17 जून को सीआईडी के समक्ष हाजिर होने का निर्देश दिया है. कोर्ट में जूनियर बीएस येदियुरप्पा ने जवाब दिया कि वह 17 जून को सीआईडी के सामने हाजिर होंगे. उसके बाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश जारी किया है कि गिरफ्तारी और जांच की जरूरत नहीं है.

बता दें कि इसके पहले कोर्ट ने पुलिस की याचिका मंजूर कर ली थी और येदियुरप्पा के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था. येदियुरप्पा द्वारा केस रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर आज जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की एकल सदस्यीय पीठ में सुनवाई हुई और पुलिस ने 28 मार्च को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी किया है. इस दौरान येदियुरप्पा की ओर से कहा गया है कि वो 17 जून को सीआईडी के समक्ष हाजिर होंगे. उसके बाद कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी.

हाईकोर्ट ने जांच पर खड़े किए सवाल

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि एफआईआर के बाद जांच कब शुरू हुई? 14 मार्च की एफआईआर के बाद 12 मार्च को नोटिस जारी किया. सीवी नागेश ने दलील दी कि उन्हें तब तक नहीं पता था कि पुलिस ने क्या किया है?

अब हाई कोर्ट ने फिर सवाल उठाया है कि बीएस येदियुरप्पा की गिरफ्तारी की जरूरत क्यों है? बीएस येदियुरप्पा को 12 जून को पेश होने का नोटिस दिया गया है. मोबाइल फोन की वीडियो और ऑडियो जांच के बाद नोटिस जारी किया गया. उपस्थित न होने पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया. 13 मई को एफएसएल रिपोर्ट आई.

जले हुए मोबाइल चिप से डेटा निकालने के लिए गुजरात एफएसएल भेजा गया. एडीजीपी बीके सिंह ने हाई कोर्ट को बताया कि इसके बाद उन्हें वॉयस टेस्ट के लिए बेंगलुरु एफएसएल भेजा गया.

यह घटना बीएस येदियुरप्पा के घर पर हुई. उनके घर में लगे सीसीटीवी फुटेज को कब्जे में नहीं लिया गया है. हाई कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी तय करें कि जांच कैसे करनी है?

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