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पीएम मोदी के साथ राहुल भी चुनेंगे CBI डायरेक्टर को

सीबीआई डायरेक्टर समेत में महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुख की नियुक्ति में राहुल गांधी की होगी भागीदारी।

कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए राहुल गांधी अब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. नेता प्रतिपक्ष होने के नाते जहां वह विपक्ष की तरफ से प्रमुख आवाज बनेंगे तो वही उनको कुछ अतिरिक्त जिम्मेदारी का भी निर्वहन करना होगा. नेता प्रतिपक्ष होने के नाते राहुल गांधी को CBI डायरेक्टर, नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन के चेयरपर्सन, मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चीफ विजिलेंस कमिश्नर के नियुक्ति की प्रक्रिया में भाग लेना होगा.

लोकसभा में पिछले 10 वर्षों में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था क्योंकि किसी भी विपक्षी दल के पास संविधान के प्रावधानों के अनुसार नेता प्रतिपक्ष के लिए सांसदों की संख्या नहीं थी. पिछले 10 वर्षों में मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस पार्टी की तरफ से नेता सदन थे.

इनमें से अधिकांश नियुक्तियों के लिए चयन पैनल में सरकार को 2-1 का फायदा है, क्योंकि इसमें प्रधान मंत्री और एक केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. लेकिन विपक्ष के नेता के रूप में ये अधिकार गांधी के पास होगा.

54 वर्षीय राहुल गांधी, गांधी परिवार के तीसरे सदस्य हैं जो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे. वर्ष 1989 से 90 के बीच बीपी सिंह के सरकार के समय राहुल गांधी के पिता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी लोकसभा में कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष थे. 1999 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेई सरकार के कार्यकाल में राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थी.

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होने के नाते राहुल गांधी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलेगा और इसके साथ ही उन्हें संसद में पर्सनल स्टाफ के साथ ही कार्यालय भी उपलब्ध होगा.

राहुल गांधी के लिए नेता प्रतिपक्ष बना राजनीतिक तौर पर उनके लिए एक बड़ा अवसर और चुनौती भी लेकर आया है. बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का आने वाला 5 साल का कार्यकाल पर पूरे देश की नजर रहेगी.

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