केरल के वायनाड जिले में सोमवार देर रात से शुरू हुई बारिश इलाके के लोगों के लिए बड़ी आफत लेकर आई. यहां भारी बारिश के बाद मंगलवार तड़के (30 जुलाई 2024) भूस्खलन होने से मेप्पडी, मुंडक्कई टाउन और चूरल माला में सैकड़ों लोग उसमें दब गए. लोकल मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस हादसे में अभी तक 60 लोगों की मौत हुई है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भूस्खलन हादसे पर दुख जताया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भूस्खलन की चपेट में आकर घायल हुए लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है. बताया गया है कि मंगलवार तड़के करीब एक बजे मुंडक्कई टाउन में पहला भूस्खलन हुआ. मुंडक्कई में बचाव अभियान चल ही रहा था कि सुबह करीब 4 बजे चूरल माला में एक स्कूल के पास दूसरे भूस्खलन की सूचना मिली. एक शिविर के रूप में चल रहे स्कूल और आस-पास के घरों और दुकानों में भूस्खलन के चलते पानी और कीचड़ भर गया. फिलहाल दोनों जगहों पर रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है.
इस हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया है. पीएम मोदी ने भूस्खलन में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. पीएम मोदी ने खुद राहत कार्यों पर नजर रख रहे हैं. उन्होंने केरल के सीएम पिनारई विजयन से बात की और केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन दिया. पीएम ने राहत कार्यों की स्थिति जानने के लिए केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी बात की है. वर्तमान में केरल में मौसम विभाग की तरफ से भारी बारिश का अलर्ट भी जारी कर दिया गया है. इसकी वजह से राहत एवं बचाव कार्य में बाधा पैदा हो रही है.
वायनाड लैंडस्लाइड मामले को लेकर राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि केंद्र सरकार इस आपदा से पीड़ित लोगों के लिए हरसंभव मदद कर रही है. उन्होंने कहा कि बचाव और तलाशी अभियान के लिए एनडीआरएफ की दो टीमें, सेना की दो टुकड़ियां और वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं. वायनाड भूस्खलन में अब तक 80 लोगों की मौत हो चुकी है. बचाव अभियान जारी है और 80 शव बरामद किए जा चुके हैं.
उन्होंने कहा, “मैं केंद्र सरकार से बचाव और चिकित्सा देखभाल के लिए हर संभव सहायता देने, मृत लोगों को मुआवजा तुरंत जारी करने का अनुरोध करता हूं. अगर मुआवजा बढ़ाया जाता है तो अच्छा होगा. सबसे जरूरी परिवहन और संचार लाइनों को बहाल करना है. जल्द से जल्द राहत स्थापित करना और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास का रोडमैप तैयार करना भी जरूरी है..”
राहुल ने कहा कि अभी भी वायनाड और पश्चिमी घाट के कई इलाकों में भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है.हमारे देश में पिछले कुछ वर्षों में भूस्खलन में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है. पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति को संबोधित करने के लिए भूस्खलन-संभावित क्षेत्रों के मानचित्रण और उन्हें रोकने के उपाय और एक कार्य योजना बनाने की तत्काल जरूरत है.