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मुख्यमंत्री जी से संभल नहीं रहा प्रदेश, दे रहें उपदेश

जब तिरंगे झंडे तले देश की आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी नेताजी सुभाष चंद्र बोस इस तिरंगे झंडे को लेकर आजाद हिंद फौज को लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे थे। सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खान जैसे क्रांतिकारी देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर रहे थे उसे समय मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा मुसलमान और हिंदू होने का प्रमाण पत्र जारी कर रहे थे।

इनका राष्ट्रवाद तब सोया पड़ा था
आजादी के बाद धीरे-धीरे इन्होंने राष्ट्रवादी होने का प्रमाण पत्र जारी करना चालू कर दिया
जो देश की आजादी की लड़ाई लड़े ही नहीं अंग्रेजों के फूट डालो राज करो की नीति में अंग्रेजों के मददगार रहे।1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ अंग्रेजों के मददगार रहे…..आजाद हिंद फौज के खिलाफ अंग्रेज़ों की सेना में सैनिक भर्ती करने वाले लोग राष्ट्रवादी होने का प्रमाण पत्र जारी करने वाला बन गए।

अब एक नई बात शुरू की है इन्होंने अब यह धर्मराज की भूमिका में भी आ गए चित्रगुप्त की भूमिका में आ गए पापी और पुण्य आत्मा होने का प्रमाण पत्र भी जारी करने लगे हैं।हर धर्म में पाप और पुण्य की परिभाषाओं मैं ज्यादा अंतर नहीं है।
गलत और अनैतिक कार्य को, असत्य और हिंसा को, व्यभिचार को अभियान को मोह को क्रोध को पाप कहा गया है| प्रभु ईसा मसीह तो इतने करुणामय थे कि जब लोग एक महिला को पापी कहकर पत्थर मार रहे थे तो प्रभु ईसा मसीह ने लोगों को रोका और कहा कि पहले पत्थर वह चलाईं जिसने कोई पाप ना किया हो| इस्लाम में तो बाकायदा मौलवियों द्वारा आलिमों द्वारा फतवा जारी किये जाने की परंपरा है| सनातन हिंदू धर्म में तो पाप और पुण्य का निर्णय धर्मराज करते हैं हिसाब किताब चित्रगुप्त महाराज रखते हैं। हर धर्म में उन कार्यों को पाप कहा जाता है जो अस्वीकार्य माने जाते हैं हिंदू धर्म में हिंसा पाप है असत्य पाप है चोरी पाप हैगोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान, घमंड को पाप कहा गया है।
मुख्यमंत्री जी सत्ता में और इस बात का उन्हें घमंड है, सत्ता जनता की सेवा के लिए होती है, अहंकार करने के लिए नही।

घमंड के बाद अगली सीढ़ी तानाशाही है, जो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और केंद्र सरकार की नीति है। विष्णुदेव साय जी आप मुख्यमंत्री बने है। पाप पुण्य के निर्णय करने का अधिकारी स्वयं को समझना नहीं चाहिए। यह अभिमान नहीं करना चाहिए अपने आप को धर्मराज या चित्रगुप्त नहीं समझना चाहिए। गीता के 16 अध्याय में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है की आदर्श दिव्य गुण वाले सुसंस्कृत व्यक्ति का अंतःकरण शुद्ध होता है वह ज्ञानी व योगी होता है दान करता है इंद्रियों का संयम करता है स्वाध्याय करता है तपस्या करता।अहिंसा और सत्य से युक्त होता है क्रोध से मुक्त होता है सबके प्रति दया और करुणा रखता है। लोभ से मुक्त होता है। विनयशील होता है तेज क्षमता,धैर्य और पवित्रता को धारण करने वाला होता है ईर्ष्या से मुक्त होता है सम्मान की अभिलाषा से मुक्त होता है।

दरअसल कहानी सिर्फ इतनी है कि पूरे देश में लगातार दर्जनों पुल के टूटने के , सड़को के टूटने के , संसद भवन की छत से पानी टपकने,रे ल दुर्घटनाओं जैसी घटनाओं को लेकर पूरे देश में भाजपा सरकार के प्रति जन-जन में नाराजगी व्याप्त है। अयोध्या रेलवे स्टेशन की नवनिर्मित दीवार के गिर जाने का भी समाचार आया। हद तो तब हो गई जब राम मंदिर की छत से भी पानी टपकने का समाचार मिला।प्रभु श्री राम के मंदिर के निर्माण में इतनी लापरवाही इतनी बड़ी चूक इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई।

बस्तर की कोंटा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक कवासी लक्ष्मण जन जन में व्याप्त इस धारणा को समझा गए।
कवासी लखमा कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन सहज बुद्धि से उन्होंने कह दिया कि यह भाजपा के कर्मों का फल है पाप का फल है जो बात जान-जान में व्याप्त है उसी को वाणी प्रदान करने का काम कवासी लखमा जी ने किया है।

यही बात हमारे मुख्यमंत्री जी को नागवार गुजर गई राम मंदिर की छत से पानी टपकेगा और कोई कुछ भी ना कहे यह तो संभव नहीं है अयोध्या रेलवे स्टेशन की दीवाल गिर जाए नवनिर्मित दीवाल गिर जाए और कोई कुछ भी ना कहे यह तो संभव नहीं।
साथियों जिस ढंग से हड़बड़ी की गई राम जन्म भूमि मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के लिए वह उचित नहीं हुआ सबसे अच्छा तो यह होता कि राम जन्मभूमि के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा राम जन्म के दिन अर्थात रामनवमी को होती हम सब मिलकर गाते भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी। लेकिन हड़बड़ी की गई प्राण प्रतिष्ठा के लिए हड़बड़ी की रामनवमी की प्रतीक्षा नही किए। शंकराचार्य और धर्माचार्य की राय ना मानकर बिना मंदिर का निर्माण पूरे हुए और जल्दबाजी में सब कुछ किया गया क्योंकि डर था वह था चुनाव की घोषणा होनी थी यदि शास्त्रोक्त विधि से रामनवमी के दिन प्राण प्रतिष्ठा होती तो शायद आचार संहिता लग जाने के कारण भगवान राम जन्मभूमि के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा शुद्ध धार्मिक आयोजन बन जाती उसमें राजनीति करना संभव नहीं होता। एक व्यक्ति की अहम की संतुष्टि का माध्यम यह आयोजन नहीं बनता किसी व्यक्ति या संगठन के राजनीतिक साधन का माध्यम नहीं बन पाता इसीलिए शंकराचार्य और धर्माचार्य के मत के खिलाफ जाकर शास्त्रों के खिलाफ जाकर बिना मंदिर का निर्माण पूरा हुए बिना मंदिर का सही निर्माण हुए हड़बड़ी में प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई जिससे भारत की धर्म प्राण जनता में यह संदेश गया कि यह ठीक नहीं हुआ यही बात सहज भाव से सीधे सरल आदिवासी विधायक कवासी लक्ष्मण ने कह दी और यह बात बेहद नागौर गुजरी प्रदेश के सत्ताधीशों को मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय कह रहे हैं की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में ना जाकर कांग्रेसियों ने महापाप किया।

विष्णु देव साईं अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को लेकर विशेष विमान से अयोध्या गए थे वे कांग्रेसियों को निमंत्रित कर सकते थे साथ जाने के लिए लेकिन कांग्रेसियों की कौन कहे वे तो अपनी पार्टी के सब विधायकों तक को लेकर नहीं गए।
और अब वे पाप पुण्य का निर्णय करने वाले बन रहे हैं कांग्रेसियों को महा पापी कह रहे हैं क्या यह उचित है महापाप किसने किया है ये निर्णय आप सभी दर्शक बंधु लीजिये।

जय सियाराम

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