ममतामयी मिनीमाता सतनाम धर्म के इतिहास में स्वतंत्र भारत की प्रथम महिला सांसद थी।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की एक राजनीतिज्ञ थीं, पति गुरु गोसाई अगम दास बाबा जी के सतलोक गमन के बाद,उन्होंने समुदाय का नेतृत्व संभाला।वह जातिवाद और छुआछूत के साथ-साथ बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ खड़ी थीं। ममतामयी मिनी माता द्वारा सतनाम धर्म और सम्पूर्ण भारत वर्ष से छूआछूत, भेदभाव और उंचनीच के भावो को समाप्त करने का प्रयास किया गया,देश और धर्म के नाम पर किये गये कार्य सर्वश्रेष्ठ थी, इसलिए ही ममतामयी मिनी माता सम्पूर्ण विश्वमें विख्यात हुई वे हमेशा उन लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहती थीं, जिनका कोई नहीं है जो कोई भी परेशानी में होता, मिनी माता के पास आ जाता और मिनी माता को देखकर ही उन के मन में शांति की भावना छा जाती।लोग यह कहते कि क्या जो जन्म देती है, वही माँ है? माँ तो वह है जिसे देखते ही ऐसा लगे कि अब और किसी बात का डर नहीं। अब तो माँ है हमारे पास।
नारी शिक्षा के लिए मिनी माता खूब काम करती थीं। सभी को कहती थीं अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए। बहुत सारी लड़कियाँ उनके पास रहकर पढ़ाई करतीं। जिन लड़कियों में पढ़ाई के प्रति रुचि देखतीं, उनके लिए ऊँची शिक्षा का बन्दोबस्त करतीं, उन लड़कियों में से डॉक्टर,न्यायधीश,प्रोफ़ेसर भी बने।छत्तीसगढ़ साँस्कृतिक मंडल की मिनी माता अध्यक्षा रहीं,छत्तीसगढ़ कल्याण मज़दूर संगठन जो भिलाई में है, उसकी संस्थापक अध्यक्षा रहीं।
छुआछूत मिटाने के लिए उन्होंने इतना काम किया कि मिनी माता को लोग मसीहा के रुप में देखा करते थे।उनके घर में हर श्रेणी के लोग आते थे और मिनी माता उनकी समस्याओं को हल करने में पूरी मदद करती थीं।अपने समाज की गरीबी,अशिक्षा और पिछड़ेपन को दूर करने के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया।ममता की सच्ची भावना रखने वाली स्वप्नदृष्टा, कुशल गृहिणी, जागरूक सांसद, समाज सेविका तथा छत्तीसगढ़ के लिए सच्ची भावना रखने वाली महिला थीं।
मिनीमाता की राजनितिक सक्रियता और समर्पण समाजोत्थान के उद्वेष्य और लक्ष्य प्राप्ति व पिडि़तों के अधिकार के लिए संसद में अनेको कानून बनवाया।
1952 से 1972 तक सांसद रही वे शासन-प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर मानव कल्याण, नारी-उत्थान, किसान मजदुर,छुआछुत के कानून, बालविवाह, दहेजप्रथा, अपाहिज व अनाथ के लिए आश्रम, महिला शिक्षा व छत्तीसगढ़ राज्य के लिए आंदोलन जैसे जनहीत के अनेको कार्यो के योजनाओं को लागू करवाया है।
ममतमयी मिनिमाता की प्रेरणा से मिनीमाता हसदेव बागोबांध परियोजना बना है, जिसके चलते आज किसानो की हजारो एकड़ जमीन की सिचाई,
भिलाई ईस्पात संयत्र में स्थानीय लोगो को रोजगार व औद्यौगिक प्रषिक्षण के अवसर प्रदान की दिशा में पहल,मिनीमाता जी गरीब, दिन दुखियो के अलावा आम जनों की समस्याओं को पुरी गंभीरता के साथ लेती थी व उनके मदद के लिए हर स्तर पर प्रयास करती थी। माता जी के लगन उत्साह व कड़ी मेंहनत के साथ सादगीपुर्वक जीवन शैली के सभी वर्ग के लोग कायल थे।
ममतामयी मिनिमाता जी सतनामी समाज को अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलवाई है। 11 अगस्त 1972 को दिल्ली से भोपाल जाते समय पालम हवाई अड्डे के पास विमान दुर्घटना में माता जी की सतलोक गमन से समाज के साथ ही सम्पूर्ण देश और छत्तीसगढ़ प्रदेश में गमगीन मौहौल हो गया था।
छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा मिनिमाता जी की स्मृति में समाज व महिलाओं के उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए मिनिमाता सम्मान की स्थापना किया गया है।