राम भरोसे राम बल, राम नाम विश्वास
सुमिरत शुभ मंगल कुशल, मांगत तुलसीदास
मध्यकालीन हिन्दी साहित्य के महान रामभक्त कवि जिन्होंने रामचरित मानस और हनुमान चालीसा जैसे विश्व प्रसिद्ध ग्रंथो की रचना की है। लगभग साढ़े चार सौ वर्ष पूर्व आधुनिक प्रकाशन-सुविधाओं से रहित उस काल में भी आदिकवि तुलसीदास जी का काव्य जन-जन तक पहुँच चुका था। यह उनके कवि रूप में लोकप्रिय होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
हिंदी कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने तुलसीदास के बारे में कहा -“कविता करके तुलसी न लसे कविता लसी पा तुलसी की कला। कविता कराके तुलसी न लेसे कविता कराके तुलसी की कला।”अर्थात -तुलसीदास काव्य रचना करके नहीं चमके, बल्कि काव्य स्वयं तुलसीदास की कला पाकर चमका। हिंदी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने तुलसीदास को “हिंदी की लता में खिलते हुए, विश्व की कविता के बगीचे में फूलों की सबसे सुगंधित शाखा” कहा है।
तुलसीदास जी के दोहे मानस युक्त होते थे समाज सुधारक और जनजाग्रत रहते थे ” तुलसी इस संसार में भाँति भाँति के लोग । सबसे हस बोलिए नदी नाव संजोग ॥”अर्थ – गोस्वामी तुलसीदास जी कहते है कि इस संसार मे कई प्रकार के लोग रहते है । जिनका व्यवहार और स्वभाव अलग अलग होता है ।
आप सभी से मिलिए और बात करिए । जैसे नाव नदी से दोस्ती कर अपने मार्ग को पार कर लेता है । वैसे आप अपने अच्छे व्यवहार से इस भव सागर को पार कर लेंगे .
रामनवमी के दिन वैसा ही संयोग आया जैसा त्रेतायुग में राम-जन्म के दिन था। उस दिन प्रातःकाल तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारम्भ की।
दो वर्ष, सात महीने और छ्ब्बीस दिन में यह अद्भुत ग्रन्थ सम्पन्न हुआ। गोस्वामीजी की रचना -श्रीकृष्ण गीतावली ,रामाज्ञा प्रश्न ,दोहावली ,कवितावली ,
गीतावली ,हनुमानबाहुक ,जानकी-मंगल,पार्वती-मंगल.।
नाभादास ने भक्तमाल में लिखा है की तुलसीदास कलियुग में वाल्मीकि के पुनर्जन्म थे।
तुलसीदास जी ने अपने जीवन भर राम की भक्ति में रहे और उनके गुणों का गान किया।
अन्तिम कृति विनय-पत्रिका लिखी और उसे भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया।
श्रावण शुक्ल सप्तमी को तुलसीदास जी ने “राम-राम” कहते हुए अपना शरीर का परित्याग किया। श्रीरामचरितमानस की रचना कर मानव समाज को प्रभु श्रीराम के आदर्शो से जोड़ने का पुनीत कार्य करने वाले महान संत गोस्वामी तुलसीदास की आज जयंती है, इस शुभ अवसर पर हमारी असली आवाज़ की टीम महंत संत गोस्वामी तुलसीदास जी को कोटि कोटि नमन करती है।