केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर दिलचस्प उपचुनाव हो रहा है. दरअसल, इस सीट से कांग्रेस की महासचिव और गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी अपना सियासी डेब्यू करने जा रही हैं. वे आज अपना नामांकन दाखिल करेंगी. नामांकन दाखिल करने से पहले प्रियंका एक विशाल रोडशो करेंगी, जिसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है. प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के साथ मंगलवार की शाम को केरल पहुंच गईं. इस सीट पर 13 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 नवंबर को रिजल्ट घोषित किया जाएगा.
वायनाड सीट से कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका अपनी मां सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और भाई राहुल गांधी की मौजूदगी में नामांकन पत्र दाखिल करेंगी. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा, जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नव्या हरिदास को चुनावी अखाड़े में उतारा है, तो वहीं लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने सत्यन मोकेरी पर भरोसा जताया है.
इस बार वायनाड संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि मौजूदा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस साल जून में सीट छोड़ दी थी और उत्तर प्रदेश में रायबरेली की दूसरी सीट को बरकरार रखने का फैसला किया था. राहुल गांधी 2019 में यूपी की अमेठी के साथ-साथ वायनाड सीट से भी चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें कांग्रेस परिवार का गढ़ कही जाने वाली अमेठी संसदीय सीट पर हार का सामना करना पड़ा था और वायनाड में जीत हासिल हुई थी.
प्रियंका के लिए कांग्रेस ने बनाई रणनीति
पिछले हफ्ते, केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने उपचुनावों से पहले आधिकारिक तौर पर प्रियंका गांधी के लिए अपना अभियान शुरू किया. हाल ही में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रियंका गांधी के लिए चुनावी गतिविधियों का खाका खींचा. उनका कहना है कि वायनाड के लोगों ने जिस तरह से राहुल गांधी पर विश्वास जताया है उसी तरह से बहन प्रियंका को ऐतिहासिक बहुमत देंगे. वहीं, स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने प्रियंका गांधी के लिए चुनाव प्रचार की रणनीति तैयार कर ली है और वे 26 व 27 अक्टूबर से घर-घर जाकर प्रचार करेंगे ताकि पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार किया जा सके.
प्रियंका गांधी के लिए ये पहला चुनाव है, जिसमें वे आम जनता के बीच जाकर खुद के लिए वोट मांगेंगी. प्रियंका को सक्रिय राजनीति में आए अभी कोई ज्यादा समय नहीं हुआ है. आधिकारिक तौर पर सक्रिय राजनीति में उनकी एंट्री साल 2019 में हुई है, तब उन्हें कांग्रेस महासचिव का पद दिया गया. प्रियंका गांधी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और यूपी कांग्रेस के लिए ग्राउंड लेवल पर काम किया.
कौन हैं बीजेपी उम्मीदवार हरिदास?
बीजेपी उम्मीदवार नव्या 39 साल की है. वर्तमान में कोझिकोड नगर निगम में पार्षद हैं और बीजेपी की महिला मोर्चा की राज्य महासचिव हैं. इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद नव्या की राजनीति में एंट्री अचानक हुई थी. बीटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद नव्या ने ढाई साल तक एचएसबीसी बैंक में एक सॉफ्टवेयर पेशेवर के रूप में काम किया. 2009 में उन्होंने मरीन इंजीनियर शोबिन श्याम से शादी की और सिंगापुर चली गईं, जहां उन्होंने कई सॉफ्टवेयर फर्मों में काम किया. उनका परिवार संघ परिवार से जुड़ा था और नव्या कहती हैं कि वह कोझिकोड में अपने पारिवारिक घर में आरएसएस की बैठकें देखकर बड़ी हुई हैं. उन्हें आरएसएस की छात्र गतिविधियों में भाग लेना भी याद है. 2015 में कोझिकोड की एक छोटी यात्रा के दौरान उन्होंने केरल में स्थानीय निकाय चुनाव देखे और इसने सब कुछ बदल दिया.
कौन हैं सीपीआई उम्मीदवार सत्यन मोकेरी?
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने राष्ट्रीय परिषद सदस्य और तीन बार विधायक रह चुके सत्यन मोकेरी को प्रियंका गांधी के खिलाफ वायनाड से उतारा है. वह 1987 से 2001 तक तीन बार नादापुरम विधानसभा सीट से विधायक रहे है. मोकेरी मौजूदा में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और केरल राज्य समिति के पूर्व सहायक सचिव हैं. उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव वायनाड से लड़ा था और कांग्रेस नेता एमआई शानवास से मात्र 20,870 मतों से हार गए थे. उस चुनाव में CPI उम्मीदवार के रूप में उन्हें 38.92 फीसदी वोट मिले थे.
वायनाड में कांग्रेस को मिली थी प्रचंड जीत
वायनाड सीट को लेकर कहा जा रहा है कि यहां कांग्रेस का पलड़ा भारी है क्योंकि राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी. राहुल गांधी को 6 लाख 47 हजार 445 वोट मिले थे और उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार एनी राजा को 3 लाख 64 हजार 422 वोटों के अंतर से हराया था. यहां बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी रही थी, जिसे 1 लाख 41 हजार 45 वोट मिले थे. अगर कांग्रेस से तुलना की जाए तो ये वोटों का अंतर 5 लाख से अधिक था. असल मुकाबला कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच देखने को मिला था. ये सीट कांग्रेस का गढ़ है और वह लगातार 4 बार से जीत हासिल करती आई है. यही वजह है कि कांग्रेस मानकर चल रही है कि वायनाड में उसकी जीत पक्की है.
कांग्रेस का 2009 से कैसा रहा प्रदर्शन?
2019 के लोकसभा चुनाव में वायनाड सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार राहुल गांधी को 706,367 वोट मिले और उन्होंने सीपीआई के उम्मीदवार पीपी सुनीर को 4,31,770 वोटों के अंतर से हराया. वहीं, बीजेपी ने बीडीजेएस से गठबंधन किया था और उसके उम्मीदर तुषार वेल्लप्पल्ली को मैदान में उतारा गया था. उन्हें मात्र 78,816 वोट मिले थे.
वायनाड सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सीपीआई से कड़ी टक्कर मिली थी. कांग्रेस के उम्मीदवार एम. आई. शानवास को 3 लाख 77 हजार 35 वोट मिले, जबकि सीपीआई के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी के खाते में 3 लाख 56 हजार 165 वोट गए. कांग्रेस ने 20,870 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. हालांकि इस चुनाव में भी बीजेपी का प्रदर्शन खास अच्छा नहीं रहा. वह तीसरे नबंर की पार्टी बनी. उसे 80752 वोट मिले, लेकिन 2009 के मुकाबले उसका जनाधार बढ़ा.
परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई वायनाड लोकसभा सीट पर पहली बार हुए साल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एम.आई. शानवास चुनावी अखाड़े में उतारा था और उन्होंने पार्टी का भरोसा भी जीता. कांग्रेस को 4 लाख 10 हजार 703 वोट मिले थे, जबकि सीपीआई के उम्मीदवार एम. रहमतुल्ला को 2 लाख 57 हजार 264 वोट मिले. तीसरे नंबर पर एनसीपी रही थी, जिसके खाते में 99663 वोट गए. वहीं, बीजेपी चौथे नंबर की पार्टी थी, जिसे मात्र 31687 वोट मिले. कांग्रेस ने सीपीआई को 1 लाख 53 हजार 439 वोटों के अंतर से हराया था.