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नेपाल में फिर उठी हिंदू राष्ट्र की मांग, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प, बोले- देश में फिर से लागू हो राजशाही

नेपाल में एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र की मांग तेज होती जा रही है. राजधानी काठमांडू में सोमवार को हिंदू राष्ट्र के समर्थकों ने प्रदर्शन किया तो हिंसा भड़क उठी. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर झड़प हुई है. इस बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तीतर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि देश में फिर से राजशाही लागू होनी चाहिए.

प्रदर्शनकारियों को देश की राष्ट्रवादी ‘राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी’ का समर्थन हासिल है. राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नेपाल में पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी है. पार्टी के प्रवक्ता मोहन श्रेष्ठ ने कहा कि राजशाही की बहाली, एक हिंदू राष्ट्र और संघीय व्यवस्था हमारी प्रमुख मांगे हैं.

प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में प्रमुख सरकारी इमारतों के पास शंख बजाते हुए नारे लगाए. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, प्रदर्शनकारी प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे थे, इसी दौरान दोनों के बीच झड़प हो गई.

इससे पहले बुधवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे थे. वे प्रधानमंत्री ऑफिस और दूसरी सरकारी कार्यालयों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे. इस दौरान लोगों ने नारे लगाते हुए कहा था, “हम अपने देश और राजा से अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं. गणतंत्र को खत्म कर राजशाही की देश में वापसी होनी चाहिए.”

इससे पहले प्रजातंत्र पार्टी ने फरवरी में 40 पॉइंट का एक मैमोरैंडम भी PM ऑफिस को भेजा था. इसमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की मांग की गई थी. दरअसल, नेपाल में साल 2006 में राजशाही के खिलाफ विद्रोह तेज हो गया था. कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र को शासन छोड़कर सभी ताकत संसद को सौंपनी पड़ी.

साल 2007 में नेपाल को हिंदू से धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया गया. इसके अगले साल आधिकारिक तौर पर राजशाही खत्म कर चुनाव कराए गए. इसी के साथ वहां 240 साल से चली आ रही राजशाही का अंत हो गया. तब से लेकर अब तक नेपाल में 13 सरकारें रह चुकी हैं. नेपाल नें पिछले कुछ समय से राजनीतिक तौर पर काफी अस्थिरता रही है.

हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नेपाली कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था. उन्होंने केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (UML) के साथ मिलकर नई सरकार बनाई, जिसका रुख चीन समर्थक कहा जाता है.

इन सबके बीच राजशाही से जुड़े कई गुट देश की प्रमुख पार्टियों पर भ्रष्टाचार और खराब गवर्नेंस का आरोप लगा रहे हैं. उनका दावा है कि देश की जनता अब राजनेताओं से परेशान हो चुकी हैं.

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