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इंदौर: पतंजलि के बिस्किट में कम निकला वजन, 1.40 लाख रुपए लगा जुर्माना, D-Mart से खरीदा था 800 ग्राम का पैकेट

इंदौर में पतंजलि के बिस्किट पैकेट में कम वजन निकलने का मामला सामने आया है. ग्राहक ने डी-मार्ट से 800 ग्राम का पैकेट खरीदा था. शक होने पर जब वजन करवाया तो यह 746.70 ग्राम ही निकला.

ग्राहक ने नापतौल विभाग में इसकी शिकायत की थी. तीन महीने चली सुनवाई के बाद विभाग ने 31 मार्च को फैसला सुनाया. इसमें पतंजलि और डी-मार्ट समेत पैकेजिंग कंपनी पर 1.40 लाख रुपए जुर्माना लगाया. आदेश की कॉपी पक्षकारों को अब मिली है.

पतंजलि कंपनी और डी-मार्ट की ओर से जुर्माना जमा करा दिया गया है. हालांकि फरियादी को अभी कोई हर्जाना नहीं मिला है. उसे सेवा में कमी का केस दर्ज करवाने के लिए उपभोक्ता फोरम में जाने की सलाह दी गई है.

पूरा मामला नवंबर 2023 का है. कनाड़िया के रहने वाले मुकेश जाट ने जनवरी 2024 में शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें दावा किया था कि डी-मार्ट मेसर्स एवेन्यू सुपर मार्ट लिमिटेड से पतंजलि बिस्किट का 125 रुपए में 800 ग्राम का पैकेट खरीदा था. शक होने पर उन्होंने पैकेट को तौला तो वजन कम निकला.

इसके बाद वे जागरुक उपभोक्ता समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश अमोलिया के साथ नापतौल विभाग के निरीक्षक केआर चौधरी के पास पहुंचे. वहां भी तौल कर देखा गया तो 800 ग्राम के पैकेट में 53.30 ग्राम कम वजन निकला. एवरेज के मान से कम मिले माल की कीमत करीब 7 रुपए थी.

नापतौल विभाग ने पतंजलि कंपनी, पैकेजिंग करने वाले दिव्या एसआरजे फूड्स एलएलपी और डीमार्ट को नोटिस जारी किए थे. नापतौल विभाग के उप-नियंत्रक एसए खान ने सभी पक्षों को सुना. इसमें गलती मानी. कम वजन का बिस्किट बेचने पर पतंजलि पर 1 लाख रुपए का, डी मार्ट और दिव्या एसआरजे फूड्स पर 20-20 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया गया. खान ने बताया तीनों ने कुल राशि 1.40 लाख रुपए जमा भी करवा दी है.

उपभोक्ता समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश अमोलिया ने बताया अगर सीधे उपभोक्ता आयोग जाते तो मामला रिजेक्ट हो सकता था. इसमें तकनीकी रूप से वजन को साबित करना मुश्किल होता है. इसीलिए पहले नापतौल विभाग में शिकायत की. यहां मामला अधिकृत रूप से पुष्ट हो चुका है. अब फरियादी को हर्जाना दिलाने के लिए अलग से एक केस उपभोक्ता फोरम में भी दाखिल किया जाएगा.

नापतौल विभाग के उप-नियंत्रक एसए खान ने बताया पैक्ड प्रोडक्ट में वजन कम निकलने पर अर्थदंड अधिक लगता है. ये सीधे तौर पर उपभोक्ता के साथ ठगी की श्रेणी में आता है. लोगों को खरीदी करते समय जागरूक रहना चाहिए.

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