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‘सोने का अधिकार बुनियादी मानवीय आवश्यकता’ बॉम्बे HC ने ED को लगाई फटकार

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि सोने का अधिकार (Right To Sleep) एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता है, जिसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में आधी रात के बाद वरिष्ठ नागरिक से ED की पूछताछ पर यह टिप्पणी की है.

जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने 15 अप्रैल को कहा, ”ईथरली आवर्स (सांसारिक घंटे) के दौरान बयान दर्ज किए जाने चाहिए, न कि रात में जब किसी व्यक्ति का मानसिक कौशल कमजोर हो सकता है.

दरअसल, कोर्ट की यह टिप्पणी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ मामले में आई, जिसमें याचिकाकर्ता ने एजेंसी के जरिए खुद की गिरफ्तारी को कोर्ट में चुनौती दी है. मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े मामले में 7 अगस्त 2023 में ED ने 64 साल के राम इसरानी को हिरासत में लिया था.

रातभर कस्टडी में रखकर उससे पूछताछ की गई थी. इसके बाद 8 अगस्त को राम की गिरफ्तारी की गई थी. बेंच के सामने राम ने दावा किया कि उसकी गिरफ्तारी गलत है.

मैंने जांच में एजेंसी का सहयोग किया. मुझे जब भी समन जारी किया मैं एजेंसी के सामने पेश हुआ, लेकिन मुझसे रातभर पूछताछ की गई और फिर गिरफ्तार कर लिया गया.

कोर्ट ने राम की याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन आधी रात में उसके साथ की गई पूछताछ को गलत बताया.

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