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NIA का खुलासा: गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का झारखंड कनेक्शन, पलामू जेल में बंद अमन साहू गैंग को सप्लाई कर रहा हथियार और शूटर्स

जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके सहयोगियों का झारखंड कनेक्शन सामने आया है. यह कनेक्शन झारखंड के कुख्यात अपराधी अमन साहू के साथ है. इस बात का खुलासा NIA ने किया है.

विभिन्न मामलों की जांच कर रही NIA ने पाया कि गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का अमन साहू के साथ संपर्क है. वह यहां अमन के साथ मिलकर गैंग चला रहा है.

हालांकि गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और कुख्यात अपराधी अमन साहू दोनों जेल में बंद हैं. इसके बाद भी ये एक-दूसरे के संपर्क में कैसे आए, इसका खुलासा अभी नहीं हो सका है. NIA इसकी भी जांच कर रही है. NIA इस बात को पता करने में जुटी है कि दोनों अपराधियों के बीच संपर्क कराने वाला सूत्रधार कौन है.

अमन साहू लेवी और रंगदारी वसूली के लिए कुख्यात है. उसके गिरोह के कई सदस्य कोयला कारोबारियों, बिल्डरों, ट्रांसपोर्टरों और कारोबारियों से रंगदारी वसूल रहा है. अमन खुद भी खुलासा कर चुका है कि उसका लॉरेंस बिश्नोई से संबंध है.

सोशल मीडिया पर अक्सर बातें होती हैं. उसका संबंध लॉरेंस के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई के साथ भी है. अब एनआईए यह जांच कर रही है कि क्या अमन साहू गिरोह बिश्नोई गिरोह को हथियार के साथ शूटर भी उपलब्ध करा रहा है.

अमन साहू उग्रवादी संगठन TPC के संपर्क में भी रहा है. वह पलामू में टीपीसी के राजन जी उर्फ मुन्ना, उमेश यादव, रमेश यादव, मनोज सिंह, आशीष कुजूर, बिराज जी उर्फ राकेश गंझू के संपर्क में रहा है. इसके अलावा वह झारखंड जन मुक्ति मोर्चा, PLFI और झांगुर ग्रुप के साथ भी काम कर चुका है. फिलहाल अमन साहू पलामू जेल में बंद है.

6 महीने पहले CID ने ATS को जो रिपोर्ट सौंपी थी उसके अनुसार अमन साहू के गिरोह में 145 गुर्गे हैं. इनमें 99 जेल से बाहर हैं. इस गैंग के पास 5 AK-47 सहित 250 से ज्यादा हथियार हैं. जेल जाने के बाद अमन साहू की गैंग को अमन के गाइडेंस पर मयंक सिंह चला रहा है. अमन पर अलग-अलग थानों में 124 से ज्यादा केस दर्ज हैं. मयंक मूल रूप से यूपी के देवरिया का रहने वाला है. अमन साव गिरोह के पास 250 से अधिक हथियार हैं. जिसमें 9 कार्बाइन, 70 देसी कट्टा और 166 पिस्टल हैं.

कोर्ट में पुलिस के 20 पन्नों के दिए बयान के अनुसार गैंगस्टर अमन साहू, अमन साव के नाम से भी जाना जाता है. उसका जन्म रांची जिले के मतवे, बुढ़मू गांव में साल 1995 में हुआ. वर्ष 2010 में उसने मैट्रिक की परीक्षा 78 फीसदी अंकों के साथ पास की. उसके बाद इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एवं कंप्यूटर साइंस में पंजाब के मोहाली से डिप्लोमा 62% अंक के साथ पास किया. साल 2012 में जब वह घर आया था तब उसकी पहचान झारखंड जनमुक्ति मोर्चा के तत्कालीन सुप्रीमो कुलेश्वर सिंह से हुई और यहीं से उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा. एक कांड के दौरान वह 2015 में पहली बार जेल गया. जहां उसकी दोस्ती सुजीत सिन्हा एवं मयंक सिंह से हुई. यहीं से वह उग्रवादी संगठनों के अलावा दूसरे आपराधिक गिरोहों के संपर्क में आया.

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