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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: स्त्रीधान पर महिला का पूरा अधिकार, पति या ससुरलवालों का इस पर कोई हक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन (विवाह के समय मिले गहने और अन्य सामान) पर उनके अधिकार को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि महिला का स्त्रीधन उसकी पूर्ण संपत्ति है. उसे अपनी मर्जी से खर्च करने का पूरा अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पत्नी के स्त्रीधन पर पति का कंट्रोल नहीं हो सकता. पति मुसीबत के समय स्त्रीधन का इस्तेमाल तो कर सकता है, लेकिन बाद में उसे लौटाना उसका नैतिक दायित्व है. कोर्ट ने यह फैसला एक व्यक्ति को उसकी पत्नी के खोए हुए गोल्ड के बदले में 25 लाख रुपए देने का निर्देश देते हुए सुनाया.

*पहले समझिए पूरा मामला क्या है?*
केरल की महिला ने दावा किया कि शादी के समय उसके परिवार ने उसे सोने के सिक्के उपहार में दिए थे. विवाह के बाद पिता ने उसके पति को 2 लाख रुपए का चेक भी दिया था. महिला के मुताबिक, शादी की पहली रात पति ने उसके सारे गहने अपने कब्जे में ले लिए. कहा कि वे इसे सुरक्षित रखेंगे, लेकिन बाद में उसने अपनी मां को सौंप दिया. पत्नी ने आरोप लगाया कि पति और उसकी मां ने अपनी पहले से मौजूद वित्तीय देनदारियों (उधारी) को पूरा करने के लिए सभी आभूषणों का दुरुपयोग किया.

विवाद के बाद 2011 में मामला फैमिली कोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने माना कि पति और उसकी मां ने वास्तव में अपीलकर्ता के सोने के आभूषणों का दुरुपयोग किया था. इसलिए पत्नी नुकसान की भरपाई की हकदार है.

केरल हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट की राहत को आंशिक रूप से खारिज कर दिया. कहा कि महिला, पति और उसकी मां द्वारा सोने के आभूषणों की हेराफेरी को साबित करने में सक्षम नहीं है. इसलिए वह उसके नुकसान की भरपाई के लिए हकदार नहीं है. इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक आपराधिक मुकदमा नहीं था, जहां क्राइम सीन से गायब सामान का पता लगाया जाना था. इस पर भी कोई विवाद नहीं था कि महिला अपने मायके से पर्याप्त मात्रा में आभूषण लेकर आई थी, जो उसने शादी के दौरान पहने थे. इसका सबूत शादी की तस्वीरों में है.

महिला ने सोने के सिक्के के बदले पैसा मांगा, जिसकी कीमत 2009 में 8.90 लाख रुपए थी. इस समय बिना किसी और बात के केवल फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखना, उसके साथ अन्याय होगा. समय बीतने, जीवन यापन की लागत में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए, हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए महिला को 25 लाख रुपए देने का निर्देश देते हैं.

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