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उज्जैन में महाकाल मंदिर के प्रसाद पैकेट को लेकर विवाद, हाईकोर्ट ने दी हिदायत, जानें पूरा मामला

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर मंदिर के प्रसाद पैकेट पर मंदिर का फोटो लगा होने से विवाद खड़ा हो गया है। मध्य प्रदेश की इंदौर हाई कोर्ट ने महाकाल मंदिर समिति को तीन माह का समय दिया है और कहां है कि इस मामले को जल्द निपटारा किया जाए। बताया जा रहा है कि मामले में इंदौर हइकोर्ट में बुधवार को जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस गजेंद्र सिंह की कोर्ट में सुनवाई हुई, हाईकोर्ट का आदेश शुक्रवार को सामने आया। बताया जा रहा है कि इस मामले को लेकर मंदिर समिति से पीएमओ तक इसकी शिकायत की गई। लेकिन किसी प्रकार का निर्णय नहीं आने के कारण इंदौर हाई कोर्ट की शरण लेना पड़ी।

उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर का प्रसाद दर्शन करने वाले भक्त ले जाते हैं यह भक्त देसी नहीं विदेश से भी आते हैं।अब इस प्रसाद के पैकेट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विवाद की वजह प्रसाद के पैकेट पर महाकाल मंदिर और ओम के साथ ओंकारेश्वर मंदिर का फोटो छपा है। प्रसाद के पैकेट पर फोटो हटाने की मांग को लेकर 19 अप्रैल 2024 को महंत सुखदेवानंद ब्रह्मचारी गुरु श्रीमहंत योगानंद, ब्रह्मचारी श्री शंभु पंच अग्नि अखाड़ा इंदौर और पंडित शरद कुमार मिश्र, गुरु श्री स्वामी राधाकान्ताचार्य जी महाराज श्री दुर्गाशक्ति पीठ ने इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। और इसमें महाकाल मंदिर के लड्डू प्रसादी के पैकेट पर महाकाल मंदिर, ओंकारेश्वर और ऊँ छापने को गलत बताने के इसे हटवाने की मांग की है।

याचिकाकर्ता के वकील अभीष्ट मिश्र ने बताया की प्रसाद के पैकेट पर मंदिर और ओंकारेश्वर के चित्र बने हैं ‘इसे लेकर 11 अप्रैल 2024 को प्रशासनिक अधिकारियों से भी मिले थे। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले में समिति के सामने रखेंगे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो पीएम मोदी से भी शिकायत की। पीएमओ कार्यालय से शिकायत के बाद सीएम हेल्प लाइन तक पहुंची, लेकिन यहां भी कह दिया गया कि मंदिर समिति में बात हो गई है। शिकायत का निराकारण जल्द हो जाएगा। इसके बाद 19 अप्रैल को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका लगा दी। इस पर 24 अप्रैल को सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले को निराकरण के लिए मंदिर समिति को तीन महीने का समय दिया है। साथ ही, कहा है कि इसमें उचित कार्रवाई के बाद कोर्ट को अवगत कराया जाए। वहीं, उचित कदम नहीं उठाने पर दोबारा कोर्ट आने को भी कहा गया है।

याचिकाकर्ता के वकील अभीष्ट मिश्र ने बताया, ‘कोर्ट में बताया कि महाकाल मंदिर प्रबंध समिति लड्डू प्रसाद वितरण करती है। इसके बॉक्स पर महाकाल मंदिर का शिखर, जिसमें ॐ और शिखर के मध्य में नागचंद्रेश्वर मंदिर का फोटो लगा है। प्रसाद लेने के बाद लोग खाली पैकेट को डस्टबिन में फेंक देते हैं। अयोध्या में लाखों डिब्बे भेजे गए, जो बाद में कूड़ेदान में फेंक दिए गए। धर्म के हिसाब से यह अनुचित है। कोर्ट में तर्क दिया गया कि वैष्णो देवी और अमृतसर में गोल्डन टेम्पल के प्रसाद में भी कोई चित्र नहीं रहता है। मंदिर के अधिनियम में भी कही नहीं लिखा कि डिब्बे को कैसे रिसाइकिल करेंगे।

मंदिर के प्रशासक मृणाल मीणा ने कहा कि याचिकाकर्ता के आवेदन आने के बाद समिति में इसे रखकर निर्णय लिया जाएगा। मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि श्रद्धालुओं को भी समय-समय पर समझाइश दे रहे हैं कि लड्डू प्रसादी के पैकेट को हर कहीं ना फेंकें। महाकाल मंदिर समिति प्रति माह 12 हजार लड्डू प्रसादी के पैकेट प्रिंट करवाती है। मंदिर समिति लड्डू प्रसाद के पैकेट 100 ग्राम, 200 ग्राम, 500 ग्राम और एक किलो के पैकेट में उपलब्ध रहते हैं। भगवान महाकाल का लड्डू प्रसाद 400 रुपए किलो में मिलता है।

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