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सीजफायर की चर्चा के बीच इजरायल ने की गाजा के रफाह में एयर स्ट्राइक, 13 लोगों की मौत

गाजा के रफाह में बड़ी संख्या में लोग इजरायली बमबारी से बचने के लिए पनाह लिए हुए है. ये बमबारी ऐसे समय पर की गई, जब इजरायल के साथ सीजफायर को लेकर मिस्र की मेजबानी में हमास के नेताओं के साथ संभावित चर्चा हो सकती है.

इजरायल और हमास के बीच जंग थमने का नाम नहीं ले रही. इस बीच इजरायल ने दक्षिणी गाजा के रफाह शहर पर ताबड़तोड़ हवाई हमले किए, जिनमें 13 लोगों की मौत हो गई जबकि कई घायल हो गए.

रफाह में बड़ी संख्या में लोग इजरायली बमबारी से बचने के लिए पनाह लिए हुए है. ये बमबारी ऐसे समय पर की गई, जब इजरायल के साथ सीजफायर को लेकर मिस्र की मेजबानी में हमास के नेताओं के साथ  संभावित चर्चा हो सकती है.

इजरायल ने हमास को जड़ से खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई है. हमास के खात्मे को लेकर शुरू किए गए इजरायल के सैन्य ऑपरेशन में 34000 से अधिक फिलीस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई है. इस जंग की वजह से 23 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.

हमास के अधिकारियों का कहना है कि खलील अल-हाया की अगुवाई में हमास के अधिकारी सीजफायर प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे, जिसमें कतर से लेकर मिस्र मध्यस्थ की भूमिका में है.

हमास ने फिर से ‘टू नेशन थ्योरी’ पर समझौते की संभावना जताई है. फिलीस्तीनी संगठन हमास 15 वर्षों से अधिक समय से कहता आ रहा है कि वह इजराइल के साथ टू नेशन समझौता स्वीकार कर सकता है. लेकिन हमास ने यह भी कहने से इनकार कर दिया है कि वह इजराइल को मान्यता देगा या उसके खिलाफ अपनी सशस्त्र लड़ाई छोड़ देगा.

इजरायल और हमास के बीच पिछले साल 7 अक्टूबर से जंग जारी है. हमास ने इजरायल पर पांच हजार से ज्यादा रॉकेट दागे थे. इसके बाद इजरायल ने जंग का ऐलान कर दिया था. इजरायल और हमास में जारी जंग में अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है.

हमास के हमले का इजरायल ने ऐसा जवाब दिया कि गाजा में एक-दो हजार नहीं बल्कि 34000 फिलिस्तीनियों की जान ले ली. मरने वालों में 70 फीसदी महिलाएं और बच्चे शामिल हैं – इसमें कमोबेश 14,350 बच्चे हैं. अगर देखा जाए तो प्रति एक इजरायली के बदले नेतन्याहू की आर्मी ने 27 फिलिस्तीनियों की जान ली है.

यूनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, मृतकों में 170 से ज्यादा संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी और सात वर्ल्ड सेंट्रल किचन के कर्मचारी शामिल हैं. पत्रकारों के लिए काम करने वाली संस्था की मानें तो छह महीने में 90 से ज्यादा पत्रकारों ने भी अपनी जान गंवा दी.

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