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मुस्लिम संगठन की बैठक में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ की टिप्पणी, किसी देश से नहीं मिला साथ

4-5 मई के बीच गाम्बिया की राजधानी में दुनियाभर के OIC सदस्य मुस्लिम देश जमा हुए. इस दौरान पाकिस्तान अपना भारत विरोधी एजेंडा आगे बढ़ाता दिखा. पाकिस्तान ने भरपूर कोशिश की कि सदस्य देश गाजा पर बात करने के साथ-साथ कश्मीर पर भी उसका साथ दें.

मुस्लिम देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के 15वें शिखर सम्मेलन में सदस्य देश जब गाजा में इजरायल के हमले पर बात कर रहे थे, तब पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपना एजेंडा साधने में लगा था. रविवार को सम्मेलन में पाकिस्तान ने मुस्लिम देशों के समक्ष कहा कि भारत में चल रहे लोकसभा चुनाव के दौरान नेता पाकिस्तान विरोधी और इस्लामोफोबिक नैरेटिव गढ़ रहे हैं, जो कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है.

गाम्बिया की राजधानी बंजुल में 4-5 मई के बीच आयोजित OIC के सम्मेलन को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री इशाक डार ने इस्लामिक देशों से अपील की कि वो वैश्विक स्तर पर इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाएं.

उन्होंने कहा कि गाजा में तुरंत युद्धविराम लागू किया जाना चाहिए. साथ ही पाकिस्तानी उप प्रधानमंत्री कश्मीर पर पुराना राग अलापने से बाज नहीं आए. उन्होंने सदस्य देशों से कहा कि जम्मू-कश्मीर मामले में एक ‘एक्शन प्लान’ लागू किया जाना चाहिए.

पाकिस्तानी नेता ने भारत के खिलाफ अपना पुराना प्रोपेगैंडा दोहराते हुए कहा कि ‘जम्मू कश्मीर में भारत की क्रूरता बढ़ती जा रही है, खासकर 5 अगस्त 2019 के बाद, जब भारत ने एकतरफा और गैर कानूनी कार्रवाई की.’ डार ने कहा कि मुस्लिम देश कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें.

हालांकि, पाकिस्तान की तरफ से की गई इस टिप्पणी को मुस्लिम देशों ने लगभग नजरअंदाज करते हुए गाजा पर अपना फोकस बनाए रखा.

राजनयिक सूत्रों के अनुसार, सम्मेलन में बोलते हुए तुर्की के विदेश मंत्री हकान फिदान ने कहा कि इजरायल के कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध अब इजरायल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध नहीं है, बल्कि दुनिया भर में उत्पीड़न करने वालों और पीड़ित होने वालों के बीच संघर्ष है.

OIC के सम्मेलन में फिदान ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी सदस्य देश को ‘फिलिस्तीनियों के खून’ की कीमत पर अपने मतभेदों को सुलझाने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि सदस्य देशों में अनेकता की वजह से इजरायल जवाबदेही से बच गया है, यह पूरे मुस्लिम समुदाय का कर्तव्य है कि वो फिलिस्तीनियों की रक्षा के लिए एकजुट हों.

उन्होंने कहा कि मुस्लिम देशों को इस वक्त अपनी एकता साबित करनी होगी और दिखाना होगी कि वो कूटनीतिक तरीके से और जरूरत पड़ने पर बल का इस्तेमाल कर अपने मकसद में कामयाब हो सकते हैं.

साथ ही उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूर्व में मुस्लिम देशों के बीच क्षेत्रीय दुश्मनी रही है लेकिन फिलिस्तीनी हितों की बलि चढ़ाने के लिए इन्हें दोहराया नहीं जाना चाहिए. उन्होंने इस्लामिक देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में जीत इजरायल और उसके समर्थकों की होगी.

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