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बच्चों को पढ़ाते वक्त की ये गलतियां, तो किताबों से भागने लगेगा दूर

छोटे बच्चों को किताबों से लगाव करवाना किसी भी माता-पिता के लिए बड़ा टास्क होता है. इसके लिए माता-पिता कई बार डांटते भी हैं, लेकिन इसी तरह की कुछ गलतियां बच्चे को पढ़ाई से और भी ज्यादा दूर कर सकती हैं. बच्चों को पढ़ाते समय काफी सतर्कता बरतने और रचनात्मकता व धैर्य रखने की जरूरत होती है. बच्चे भले ही पेरेंट्स के डर से पढ़ने बैठ जाएं, लेकिन उनका मन किताबों में नहीं लगता है, जब तक कि उन्हें प्रेरणा न मिले. पेरेंट्स पढ़ाते वक्त कुछ ऐस गलतियां कर देते हैं कि बच्चों का मन किताबों से और ज्यादा हटने लगता है.

बच्चे कई बार पढ़ाई को लेकर खुद ही सजग रहते हैं तो कुछ बच्चे किताबों को देखते ही दूर भागने लगते हैं. ऐसे में माता-पिता बच्चों को पढ़ने के लिए राजी करने के चक्कर में पढ़ाते वक्त कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिसकी वजह से बच्चा पढ़ाई से और भी ज्यादा दूर भागना शुरू कर देता है.

भाई-बहन या सहपाठी से तुलना करना

बच्चे के पढ़ाते वक्त अगर वह किसी सब्जेक्ट पर बार-बार अटक रहा हो तो उस दौरान गलती से भी बच्चे से ये न कहें कि देखो तुम्हारा भाई या बहन या फिर सहपाठी कितने अच्छे से पढ़ता है या इस सब्जेक्ट में वो कितना मजबूत है. इस तरह की तुलनात्मक बातें बच्चे पर प्रेशर बढ़ाती हैं और हीन भावना की वजह से वह पढ़ाई से और भी ज्यादा दूर हो सकता है.

फोन का इस्तेमाल करना

आजकल फोन चलाते रहना काफी ज्यादा कॉमन हो गया है. अगर आप बच्चे को पढ़ा रहे हैं तो उस दौरान फोन चलाने की गलती न करें. कई बार पेरेंट्स बच्चे को पढ़ाने कराने के दौरान, उसे काम करने को दे देते हैं और बीच-बीच में फोन पर आए मैसेज, नोटिफिकेशन भी चेक करते रहते हैं. इससे बच्चे का मन पढ़ाई से भटकने लगता है.

पढ़ाई को लेकर स्ट्रेस न बढ़ाएं

बच्चे को पढ़ाते वक्त ज्यादातर माता-पिता डांटते हैं या फिर बार-बार पढ़ने के लिए कहते रहते हैं. इससे बच्चे का स्ट्रेस बढ़ने लगता है और वह पढ़ी हुई चीज को भी सही से प्रजेंट नहीं कर पाएगा. ज्यादा प्रेशर डालते हैं तो इस वजह से बच्चे को पढ़ाई करते वक्त बोरियत लगने लगती है. इसकी बजाय बच्चे की पढ़ाई व खेलने का समय निर्धारित करें और इसे धीरे-धीरे रूटीन में आदत बना दें.

बच्चे से ये बात न कहें

पढ़ाई में अगर बच्चे का मन लगाना हो तो उसे एप्रिशिएट करना बहुत जरूरी होता है. इससे बच्चा खुद भी पढ़ाई के प्रति गंभीर बनता है. बच्चे को पढ़ाते वक्त माता-पिता को कभी यह नहीं कहना चाहिए कि वो पढ़ाई में बहुत कमजोरी है. इससे बच्चे का कॉन्फिडेंस कम हो सकता है और उसका मन पढ़ाई से हट सकता है.

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