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मध्य प्रदेश में अब उप चुनाव के बादल… कुछ ने बदला दल, तो कुछ देंगे इस्तीफा

भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां सिमट चुकी हैं। कुल 4 चरणों के मतदान पूरे होने के बाद अब इनके परिणाम पर नजर टिक गई है। इसी बीच अब प्रदेश में उप चुनाव के आसार मंडराने लगे हैं। पिछले दिनों तेज रहे दल बदल और लोकसभा चुनाव में कुछ विधायकों की मौजूदगी से यह हालात बने हैं।

लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सबसे ज्यादा सुरक्षित सीट के प्रत्याशी शिवराज सिंह चौहान मौजूदा विधानसभा के सदस्य भी हैं। लोकसभा चुनाव में उनकी जीत पक्की और केंद्रीय मंत्रिमंडल में बेहतर विभाग मिलना भी अवश्यंभावी माना जा रहा है। इस स्थिति के चलते इस बात की भी प्रबल संभावना है कि शिवराज को अपनी जीती हुई विधानसभा सीट छोड़नी पड़ेगी।

उप चुनाव यहां भी

लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद प्रदेश की 4 से 8 विधानसभा सीट पर उपचुनाव की संभावना है। ज्ञातव्य है कि लोकसभा चुनाव के पहले और इसी गहमा-गहमी के दौर में कांग्रेस के तीन विधायकों ने पार्टी छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली है। जिसके चलते इन सीटों से इन विधायकों की सदस्यता शून्य हो गई है। कमलेश शाह के इस्तीफे के बाद अमरवाड़ा सीट, विधायक निर्मला सप्रे और रामनिवास रावत के बीजेपी में शामिल होने से भी इनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई है। नियमानुसार इन खाली हुई सीटों पर 6 माह की अवधि में उप चुनाव कराए जाना जरूरी है।

इसके अलावा प्रदेश में 4 विधायक भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इन सीटों से सकारात्मक परिणाम आने पर इन्हें भी विधानसभा से सदस्यता छोड़ना पड़ेगी। जिसके फलस्वरूप यहां भी उपचुनाव कराने होंगे।

सरकार स्थिर, घटेगी और बढ़ेगी सदस्य संख्या
विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को भरपूर सीटों का प्रतिसाद जनता ने दिया है। इसके चलते प्रदेश सरकार से दो चार विधायक इधर उधर होने का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि यह जरूर है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए विधायकों की संख्या पार्टी की सीमित विधायक संख्या से कम जरूर हो जाएगी। उप चुनाव में जीत हासिल करने के बाद यही विधायक भाजपा की संख्या बढ़ाने वाले साबित होंगे।

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