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थाने के आसपास चहल कदमी, रिकॉर्ड में फरार; फरियादी को जेल पहुंचाकर बेफिक्र हुई पुलिस

भोपाल। माह ए रमजान में पुराने शहर की एक मस्जिद के बाहर हुआ उपद्रव। कई मामलों के लिए पुलिस रिकॉर्ड में मौजूद असामाजिक तत्वों द्वारा मचाया गया गदर। एक बेगुनाह के पैर में असामाजिक तत्वों के पिस्टल से निकली गोली का जख्म तो दूसरे को तलवार से लगी चोटें। पुलिसिया कार्रवाई शुरू हुई तो फरियादी बनकर पहुंचे इन दोनों युवाओं पर ही गाज गिर गई। दोनों बेकुसुरों के तीसरे भाई को भी आरोपी बनाया गया और एक एक कर तीनों को जेल की सलाखों के पीछे धकेल कर पुलिस ने खुद की पीठ थपथपा ली। मामले के आरोपी सनसनाते हुए शहर में घूम रहे हैं। थाने से चार कदम की दूरी पर बसने वाले इन आरोपियों के नाम के आगे पुलिस ने फरार लिखकर अपनी कार्यवाही की इतिश्री कर ली है।

मामला करीब दो माह पहले पुराने शहर के टीला जमालपुरा थाना क्षेत्र में हुआ था। रमजान माह के दौरान ऐन मस्जिद के बाहर हुए इस उपद्रव में अनस और बाबर नामक असामाजिक तत्वों ने पिस्टल से वार किए। जमकर तलवार और छुरियां भी चलीं। नमाज पढ़कर बाहर निकले दो बेकुसूर फैजान और नोमान इस हमले की जद में आए। अपने जख्मों को सहलाते हुए यह पहले अस्पताल की दौड़ लगाते रहे और शातिर अनस और बाबर ने टीला जमालपुरा पहुंचकर जख्मी हुए लोगों के खिलाफ ही शिकायत दर्ज करवा दी। इस शिकायत में दोनों जख्मियों के तीसरे भाई को भी घेरे में लिया गया।

उपद्रवी हो गए मासूम

थाने में पहले पहुंचने वाला मासूम, की तर्ज पर थाना टीला जमालपुरा ने बलवे के मुख्य आरोपियों अनस और बाबर पर धारा 307 सहित अनेक धाराओं में मामला तो दर्ज किया, लेकिन उन्हें मासूम करार देते हुए सुकून से घर भी भेज दिया। जबकि इस शिकायत की खबर लगने पर थाने पहुंचे फैजान और नोमान को पुलिस ने इन्हीं धाराओं का आरोपी बना दिया। सारी रात थाने में बैठाकर अगले दिन न्यायालय में पेश कर जेल भेजने में भी कोताही नहीं बरती।

चला पुलिस का दमन चक्र

फरियादियों के खिलाफ पुलिस ने शिकायत दर्ज करने के बाद तीसरे भाई को तलाश करने में इतनी सक्रियता दिखाई कि इनके परिवार के एक एक कर करीब आधा दर्जन लोगों को थाने में बैठाने में गुरेज नहीं किया। बुजुर्ग और बीमार पिता को भी थाने के चक्कर लगवाए गए। इंतेहा यह भी हुई कि इस फरियादी परिवार के घर को ढहाने की धमकियां भी लगातार दी गईं। असर यह हुआ कि डर कर यहां वहां छिप रहे तीसरे भाई ने खुद को पुलिस के सामने पेश कर उनके पराक्रम को बढ़ा दिया। पुलिस ने उपद्रव के तीन फरियादियों को जेल पहुंचा दिया, लेकिन उसकी नजर दो महीने से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी असल मुजरिमों पर नहीं पड़ रही है। न तो इनकी गिरफ्तारी के लिए इनके परिवार के लोगों को तंग किया गया और न ही इनके घरों को गिराने की धमकी पुलिस ने दी है।

सियासी दबाव में पुलिस

सूत्रों के मुताबिक टीला जमालपुरा पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के एक नेता के दबाव में काम कर रही है। बताया जाता है कि इस विवाद में इन नेता जी के पुत्र की सहभागिता भी है। इस बात के प्रमाण सोशल मीडिया पर वायरल हुए फोटो और वीडियो से पुलिस तक भी पहुंचे हैं। अपने बेटे को इस मामले में पुलिस कार्यवाही से सुरक्षित रखने के लिए नेता जी ने अपने अधिकतम प्रयास झोंक दिए। नतीजा पुलिस की एक तरफा फरियादियों पर कार्यवाही वाला रुख सामने आया है।

टीआई विहीन थाना

जानकारी के मुताबिक थाना टीला जमालपुरा लंबे समय से थाना प्रभारी विहीन है। यहां की व्यवस्था फिलहाल एक प्रशिक्षु आईपीएस के हवाले है। बताया जाता है कि क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और यहां की आपराधिक पृष्ठभूमि से नावाकिफ इन अधिकारी को थाने में पदस्थ पुराने कर्मचारी अपने हिसाब से चला रहे हैं। अपराधियों को बचाने के लिए बेखौफ किए जा रहे आर्थिक लेनदेन से बेखबर प्रशिक्षु आईपीएस को थाने की स्थितियां भविष्य में बेहतर पोस्टिंग से भी दूर कर सकता है। पुलिस के इस रवैए ने जहां उपद्रवियों, बदमाशों और रसूखदारों के हौंसले बुलंद कर दिए हैं, वहीं मासूम, निर्दोष और बेकुसूर लोगों के थाने तक जाने के रास्ते मुश्किल कर दिए हैं।

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