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“शिव” की बहना नहीं दिखा पाईं “मोहन” के लिए उत्साह, 12 फीसदी कम हुआ मतदान

भोपाल। प्रदेश के मामा और यहां की महिलाओं के लिए भैया बन गए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को महिला प्रधान योजनाएं उनकी रुखसत के साथ ही बेअसर होती दिखाई देने लगी हैं। हालांकि नवागत सीएम डॉ मोहन यादव ने इन योजनाओं को जिंदा रखकर बहनों को बांधे रखने के प्रयास किए हैं। बावजूद इसके प्रदेश के मुखिया के रूप में पहला चुनाव फेस करने वाले डॉ मोहन यादव को महिलाओं का कम आशीर्वाद मिला है।विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा चुनाव में प्रदेश में महिलाओं के मतदान प्रतिशत में करीब 12 फीसदी की गिरावट आई है।

जानकारी के मुताबिक विधानसभा चुनाव के दौरान महिलाओं का वोट प्रतिशत 76.26 प्रतिशत था। इस लिहाज से प्रदेश में लगातार पांचवीं बार भाजपा सरकार बनाने में महिलाओं की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। इसी बात को आगे रखते हुए प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने महिलाओं को आकर्षित करने वाली योजनाओं को यथावत रखा। इन योजनाओं को जारी रखने की बात वे बार
बार दोहराते भी रहे। लेकिन इन तमाम प्रयासों का कुछ खास असर लोकसभा चुनाव में दिखाई नहीं दिया। फायदे की बजाए इस चुनाव में करीब 12 प्रतिशत की गिरावट आते हुए लोकसभा चुनाव में महिलाओं का वोट प्रतिशत 65.24 फीसदी पर आ लगा है।

महिलाओं को मिल रहा लाभ
गत वर्ष मार्च माह में आकार लेने वाली लाड़ली बहना योजना अब भी प्रदेश की करीब सवा करोड़ महिलाओं को फायदा दे रही है। एक हजार रुपए से शुरू हुई इस योजना में अब महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए मिल रहे हैं। बड़े कर्ज में डूबी प्रदेश सरकार ने इस योजना को यथावत रखने के लिए इन 5 माह में दो बार बड़ा कर्ज भी लिया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने चुनाव के दौरान योजना की निर्धारित तारीख से पहले ही बहनों के खातों में राशि पहुंचाकर भी महिलाओं को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए आकर्षित किया है। लेकिन इसका कोई असर मतदान के दौरान दिखाई नहीं दिया है।

शिवराज भैया के लिए नाराज हैं बहना?
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने करीब 17 साल से अधिक की मौजूदगी के दौरान रिश्तों वाली सियासत की है। उन्होंने प्रदेश के युवक युवतियों को भांजा भांजी कहकर पुकारा। उनके लिए विभिन्न योजनाओं से उनके लिए सफलता के रास्ते खोजे। प्रदेश की आधी आबादी महिलाओं को जोड़ने के लिए लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना जैसी योजनाएं शुरू की। विधानसभा चुनाव में शिवराज के चेहरे को सामने रखकर ही महिलाओं ने वोट किया। लेकिन विजय मिलने के बाद किए जाने बदलाव के लिए न प्रदेश का युवा तैयार था, न ही महिलाओं ने इसकी कल्पना की थी। लोकसभा चुनाव में महिलाओं का घटा हुआ मतदान प्रतिशत उनकी नाराजगी का घोतक कहा जा सकता है।

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