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77 साल बाद भारत से पाकिस्तान लाया गया घर का दरवाजा, खुशी से छलक पड़े आंसू, चूमने लगे प्रोफेसर

14 अगस्त, 1947 इतिहास की वो तारीख है, जब भारत के दो टुकड़े हुए. इस बंटवारे में बहुत से लोगों का सब लुट गया. किसी को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा, तो कोई अपनों से दूर हो गया. ये बंटवारा महज देश का ही नहीं बल्कि दिल, रिश्‍तों और भावनाओं का भी था. भारत और पाकिस्तान अलग हुए आज भले ही सालों बीत चुकी हों, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके मन से आज भी इस बंटवारे के जख्म भरे नहीं हैं. उन्हीं में से एक हैं लाहौर में रहने वाले प्रोफेसर अमीन चौहान (Prof Amin Chohan), जिन्हें आज भी अपना पंजाब वाला घर याद आता है.
हाल ही में प्रोफेसर को भारत से उनके एक दोस्त ने एक प्यारा सा गिफ्ट भेजा, जिसे देखकर उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े. दरअसल, प्रोफेसर के भारत में रहने वाले दोस्त पलविंदर सिंह ने उन्हें उनके घर का पुश्तैनी दरवाजा मुंबई से लाहौर भेजा है. यही वजह है कि, सोशल मीडिया पर उनका यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे देखकर लोग इमोशनल हो रहे हैं. पंजाब के बटाला से मुंबई, फिर दुबई और कराची होते हुए लाहौर तक का लंबा सफर तय कर चुके इस पुश्तैनी दरवाजे को देखकर खुशी के आंसू छलकने लाजिमी थे.

इस वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर यूजर साद जाहिद ने अपने अकाउंट से शेयर किया है, जिसे अब तक 97 हजार से अधिक लोग लाइक कर चुके हैं. वीडियो के कैप्शन में लिखा है, ‘इस दिल छू जाने वाले वीडियो में दिखाई दे रहे, एचिसन कॉलेज के जूनियर स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल प्रोफेसर अमीन चौहान उस वक्त भावुक हो गए, जब उन्हें भारत से अपने दोस्त पलविंदर सिंह से एक विशेष तोहफा मिला. तोहफा क्या है? यह बटाला के घोमन पिंड में मौजूद प्रोफेसर के पिता के घर का पुराना दरवाजा है. यादों और इतिहास से भरा ये दरवाजा बटाला से मुंबई, फिर दुबई, कराची और अंत में लाहौर तक लंबा सफर तय करके आया है. जहां अमीन रहा करते थे. जैसे ही प्रोफेसर इस पुराने दरवाजे को देखते हैं, वो अपने आंसू रोक नहीं पाते. वो इस दरवाजे के मतलब और इससे जुड़ी यादों से गहराई से प्रभावित हुए. भले ही 1947 के विभाजन ने जमीन को विभाजित कर दिया हो, लेकिन यह पंजाबियों के दिलों को अलग नहीं कर पाया, जो साझा विरासत और दोस्ती के माध्यम से जुड़े रहे हैं.’ पोस्ट पहर यूजर्स तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.

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