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चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति मुइज्जू का चीन एजेंडा, मालदीव का संविधान बदलेंगे, ‎30 द्वीपों में चीनी कंपनियों को मिलेगा कॉन्ट्रैक्ट‎

मालदीव में भारत विरोधी राष्ट्रपति‎ मोहम्मद मुइज्जू को संसदीय चुनाव में‎ प्रचंड बहुमत के साइड इफेक्ट शुरू ‎हो गए हैं. 93 सीटों में से मुइज्जू की ‎पार्टी को 68 सीटें मिली हैं. अब‎ मुइज्जू ने चीन के एजेंडे पर काम शुरू ‎कर दिया है. उनका पहला टास्क ‎संविधान बदलना है.

अभी राष्ट्रपति‎ के अधिकारों पर संसद का नियंत्रण‎ है. मुइज्जू राष्ट्रपति के आदेश को‎ मंजूरी के लिए संसद में तीन चौथाई‎ की जगह साधारण बहुमत का‎ प्रावधान करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, ‎मुइज्जू 188 बसाहट वाले द्वीपों में से ‎30 नए द्वीपों में कंस्ट्रक्शन के ठेके ‎चीनी कंपनियों को देंगे. यहां चीन की‎ कंपनियां पहले चरण में एक हजार ‎फ्लैट बनाएंगी. ये 30 नए द्वीप समुद्र ‎पाट कर बनाए गए हैं. इसे लैंड‎रिक्लेमेशन कहा जाता है.

भारत समर्थक पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद नए द्वीपों पर ‎निर्माण के सख्त खिलाफ थे. उन्होंने चेताया था कि ‎जलस्तर बढ़ने से मालदीववासी दुनिया के पहले‎ पर्यावरण शरणार्थी बन सकते हैं. उन्होंने भारत, श्रीलंका ‎या ऑस्ट्रेलिया में जमीन खरीदने की बात कही थी. हालांकि, मुइज्जू ने सत्ता में आने के बाद लैंड रिक्लेमेशन‎ को आगे बढ़ाया.

मालदीव पर 54,186 करोड़ रुपए का विदेशी कर्ज है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक 2026 तक मालदीव को लगभग 9‎ हजार करोड़ का विदेशी कर्ज चुकाना होगा. इसके लिए ‎राष्ट्रपति मुइज्जू ने इस्लामिक बॉन्ड के जरिए 4200 करोड़‎ रुपए जुटाने का प्लान बनाया है.

इसके लिए तुर्किये और‎ सऊदी अरब से इस्लामिक बॉन्ड खरीदे जाएंगे. मुइज्जू ने ‎राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले तुर्किये की यात्रा की ‎थी. इस दौरान मुइज्जू ने तुर्किये से आसान शर्तों‎ पर कर्ज मांगा था. ऐसी ही गुजारिश वे सऊदी अरब से भी‎ कर चुके हैं. वे कर्ज मांगने के लिए चीन भी गए थे.

लंदन में बसे मालदीव के पत्रकार‎ मोहम्मद इंतखाब के मुताबिक मुइज्जू की पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान भारत विरोधी रुख‎ अपनाया. आने वाले दिनों में मुइज्जू का भारत विरोध और चीन प्रेम और बढ़ेगा. मुइज्जू ‎ने भारतीय सैनिकों के दूसरे जत्थे और आखिरी जत्थे काे 10 मई तक मालदीव छोड़ने का‎ अल्टीमेटम दिया हुआ है।.

मालदीव में 21 अप्रैल को संसदीय चुनाव हुए थे, जिसमें मुइज्जू की पार्टी ने जीत हासिल की. सोमवार को घोषित हुए शुरुआती नतीजों में मुइज्जू की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस पार्टी और उनके समर्थकों को 93 में से 71 सीटें मिलीं. राष्ट्रपति मुइज्जू की जीत पर चीन ने भी उन्हें बधाई दी थी.

दूसरी तरफ, चुनाव में भारत समर्थक MDP पार्टी को सिर्फ 12 सीटें ही मिल सकीं. संसद में बहुमत के लिए 47 से ज्यादा सीटों की जरूरत थी. न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक मुइज्जू की जीत भारत के लिए बड़ा झटका बताया गया.

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