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ब्रह्माकुमारीज द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योग शिविर का आयोजन

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवाकेन्द्र सागर द्वारा चकराघाट सागर में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योग शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी छाया दीदी ने योग की महत्वता बताते हुए कहा , कि प्राचीन राजयोग सभी योगों का राजा है। राजयोग करने से हमारे जीवन में कार्य करने में कुशलता आती है एवं विचारों का शुद्धिकरण होता है।

विचारों की शुद्धिकरण के लिए पहले विचारों, संकल्पों पर ध्यान देना होगा। अब ध्यान करते वक्त हमारी सोच बहुत चलती है, लेकिन हमें क्या सोचना हैं? मैं क्यों सोच रहा हूं’ ? फिर कुछ देर के लिए सोच रुक जाती है। सिर्फ श्वास पर ही ध्यान देते हैं और उसी समय संकल्प करें – मैं कौन हूँ?अंतत: ध्यान का अर्थ हैं – ध्यान देना। हर उस बात पर जो हमारे जीवन से जुड़ी हैं।

निरोगी काया के लिए राजयोग वरदान

भौतिक सुखों की इमारत तो निरोगी काया रूपी नींव पर खड़ी होती है। कहा जाता हैं, कि सत्य धर्म की साधना के लिए स्वस्थ शरीर ही प्रथम साधन है स्वस्थ शब्द में ही स्वस्थ व्यक्ति की परिभाषा समाई हुई है, स्व+स्थ का अर्थ है जो अपने आत्मस्वरूप में सदा स्थित रहता है। मानव जीवन शरीर और आत्मा का मेल ही तो है शरीर आवरण है और आत्मा चेतन हैं। अपने को चेतन आत्मा समझते हुए शरीर रूपी आवरण को ओढ़े हुए भी इससे अपने को न्यारा महसूस करना यही है आत्मस्थित होना अर्थात स्वस्थ होना।

स्वस्थ रहने के लिए स्व स्थिति का होना बहुत आवश्यक है विचारों का, भोजन का और कर्मों का इस पर गहरा प्रभाव पड़ता है जैसे बरसात की बौछार से बचने के लिए केवल छाता ही काफी नहीं है ,साइड में भी सुरक्षा जरूरी है नहीं तो वहां से भी बौछार प्रवेश कर जाती है इसी प्रकार रोग नाश के लिए केवल दवा ही काफी नहीं,नकारात्मक विचार, बुरी संगत से बचना जरूरी हैं। दवा के साथ-साथ आचरण और आदतों को भी श्रेष्ठ बनाने की आवश्यकता है । स्वस्थ व्यक्ति का आहार शरीर के लिए हितकारी है जिसकी जीवनचर्या प्रकृति के अनुकूल होनी चाहिए। जैसे विचारों का प्रभाव मन पड़ता है वैसे ही भोजन का प्रभाव तन पड़ता है भोजन शरीर के विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

इस शिविर में सभी ने योग आसन के साथ ओम की ध्वनि का उच्चारण किया एवं मेडिटेशन कर आत्म-अनुभूति भी की।इस योग शिविर में ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी ,ब्रह्माकुमारी खुशबू,ब्रह्माकुमारी प्रगति ,ब्रह्माकुमार सुनील भाई,ब्रह्माकुमार पीयूष भाई, और संस्था से जुड़े सभी भाई-बहिन शामिल रहे।

 

 

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