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बरसात में बढ़ सकता फंगल इंफेक्शन का खतरा? त्वचा पर पड़ने लगते चकत्ते, घबराएं नहीं, इन 4 उपायों से मिलेगी निजात

Fungal Infection: उतार-चढ़ाव भरा मौसम सेहत पर आफत बनकर टूटता है. खासतौर पर गर्मी के बाद आने वाला बरसात का मौसम. इस दौरान तमाम ऐसी बीमारियां पनपने का खतरा बढ़ता है, जिनके इलाज में दवाएं भी नाकाम साबित हो जाती हैं. जी हां, फंगल इंफेक्शन इनमें से एक है. इस स्थिति में स्किन पर हल्के सफेद चकत्तेनुमा दिखने लगते हैं. वैसे तो ये इंफेक्शन कभी भी हो सकता है. लेकिन बरसात में इसके मामले अधिक देखे जाते हैं. इससे निजात पाने के लिए लोग महंगी दवाओं का सेवन करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ घरेलू उपाय अधिक कारगर हो सकते हैं. इन उपायों को नियमित फॉलो करने से चेहरे और स्किन के हिस्सों से सफेद दागों को खत्म हो सकते हैं. आइए जानते हैं इन असरदार नुस्खों के बारे में-

फंगल इंफेक्शन कारण: राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. राहुल बाल्मीकि के मुताबिक, बरसात में ह्यूमिडिटी ज्यादा होती है, जिसमें बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं. यही वो बैक्टीरिया होते हैं जो फंगल इंफेक्शन का कारण बनते हैं. फंगल इंफेक्शन किसी भी उम्र के महिला-पुरुष को प्रभावित कर सकता है. इसका असर पूरी बॉडी के किसी भी हिस्से में हो सकता है.

ऐसे करें बचाव: एक्सपर्ट के मुताबिक, फंगल इंफेक्शन आमतौर पर बारिश में भीगने और गीले कपड़ों में देर तक रहने से फैलता है. ऐसे में इंफेक्शन से बचने के लिए रोजाना दो बार नहाकर साफ कपड़े पहनने चाहिए. अपना तौलिया व साबुन अलग रखें. बारिश में भीगने के बाद घर पहुंचते ही तुरंत नहाएं और साफ कपड़े पहनें.

फंगल इंफेक्शन से बचने के घरेलू उपाय

दही खाएं: बरसात में फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए दही का सेवन किया जा सकता है. दरअसल, दही और प्रोबायोटिक्स में अच्छे बैक्टीरिया की मौजूदगी होती है, जो कई फंगल संक्रमणों को दूर रखने में मदद कर सकते हैं.

टी ट्री ऑयल: फंगस संक्रमण से बचने के लिए टी ट्री ऑयल का प्रयोग किया जा सकता है. बता दें कि, इसमें एंटीफंगल और जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो इससे राहत दिलाते हैं. इसके लिए टी ट्री ऑयल और नारियल या फिर जैतून तेल को प्रभावित हिस्से पर लगाना होगा.

नारियल तेल: फंगल संक्रमण में नारियल तेल का भी यूज किया जा सकता है. दरअसल, नारियल तेल में मौजूद एंटी-फंगल गुण इस परेशानी को दूर करने में असरदार माने जाते हैं. इसका यूज प्रभावित स्थान पर दिन में 4-5 बार करें.

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