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गरियाबंद: सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से 141वीं मौत, पैसे की कमी से नहीं मिला इलाज, कर्ज में डूब गया बेटा, पिता ने तोड़ा दम

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में किडनी की बीमारी से सुपेबेड़ा में एक मरीज की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि किडनी की बीमारी से ये 141वीं मौत है. बताया जा रहा है कि बेटे के पास पैसे खत्म हुए तो 14 मार्च को पिता को अस्पताल से घर ले आया था. घर में शुक्रवार को पिता की मौत हो गई.

मिली जानकारी के मुताबिक नवीन सोनवानी (47) 2017 में किडनी की बीमारी से ग्रसित हुआ था. धीरे-धीरे बीमारी बढ़ती गई. पीड़ित को 2 माह पहले एम्स में भर्ती कराया गया था. इस बीच 10 बार डायलिसिस भी किया गया, लेकिन 2 माह में पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई. अधूरा इलाज कराकर वापस लौटना पड़ा.

मृतक नवीन का बेटा सत्यावान ने बताया कि इलाज के नाम पर केवल डायलिसिस की सुविधा मिल रही थी. दवा और बल्ड की व्यवस्था खुद से करना पड़ता है. एक से ज्यादा अटेंडर हुए तो खाने का खर्च खुद उठाना होता है. 2 महीने में 90 हजार रुपए खर्च हुए.

सत्यावान ने बताया कि मजदूरी कर के घर चलाते हैं. पिता के इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ा था. दोबारा कर्ज नहीं मिल पाया, जिसके कारण मजबूरी में अस्पताल से पिता जी को वापस लाना पड़ा. अब पिता जी की घर में जान चली गई.

मामले में CMHO गार्गी यदु ने बताया कि पीड़ित का इलाज एम्स अस्पताल में चल रहा था. आधी-अधूरी इलाज के बीच परिवार वाले बगैर डॉक्टरी सलाह के वापस ले आए. स्थानीय स्तर पर मौजूद सुविधाओं के बीच देवभोग BMO के देख-रेख में इलाज जारी था. आज पीड़ित की मौत हो गई है.

ग्राम पंचायत में मौजूद आंकड़े बताते हैं कि 2005 से अब तक किडनी की बीमारी से 141 की मौत हो चुकी है. 2011 से मरने वालों की संख्या 96 है. अब भी 30 से ज्यादा किडनी पीड़ित हैं. मामला सामने आने के बाद मौत के आंकड़े और बीमारों की संख्या में कमी तो आई है, लेकिन बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो सकी.

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