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सरकार के पास कोई सबूत नहीं, कुकी और मैतेई हिंसा पर बातचीत को लेकर बोले कांग्रेस नेता

मणिपुर में हो रहे जातीय संघर्ष के बीच कांग्रेस नेता देवब्रत सिंह ने दावा किया है कि राज्य में जारी जातीय संघर्ष को सुलझाने के लिए कुकी और मैतेई समूहों के साथ सरकार द्वारा किसी भी तरह की बातचीत के कोई सबूत नहीं हैं. कांग्रेस की तरफ से यह बयान उस समय आया जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर को लेकर बयान दिया था. दरअसल शाह ने कहा था कि सरकार स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए दोनों समुदायों के साथ बातचीत कर रही है.

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर शाह ने मंगलवार को कहा था कि सरकार म्यांमार से लगी देश की सीमा पर बाड़ लगाने का काम शुरू कर चुकी है, ताकि घुसपैठ को रोका जा सके, जो मणिपुर में जारी समस्या का मूल कारण है.

बातचीत का कोई ठोस सबूत नहीं

मणिपुर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष देवब्रत सिंह ने शाह के इस बयान पर सवाल उठाते हुए कहा, “गृह मंत्री का दावा है कि सरकार मैतेई और कुकी समूहों के साथ बातचीत कर रही है, लेकिन इसका कोई ठोस सबूत नहीं है। उनके बयान में पारदर्शिता की कमी है.” सिंह ने राज्य सरकार से उस कथित आधिकारिक दस्तावेज पर भी स्पष्टीकरण मांगा, जिस पर मुख्यमंत्री के सचिव एन ज्योफ्रे के हस्ताक्षर होने का दावा किया जा रहा है. यह दस्तावेज राज्य के डीजीपी को संबोधित है, जिसमें कहा गया है कि 900 प्रशिक्षित कुकी उग्रवादी इंफाल घाटी के पास स्थित पहाड़ियों में चले गए हैं और 28 सितंबर के आसपास मैतेई गांवों पर समन्वित हमले करने की योजना बना रहे हैं.

सीएम से मांगा स्पष्टीकरण

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया पर प्रसारित इस कथित आधिकारिक दस्तावेज ने इंफाल घाटी के सीमांत क्षेत्रों में भय का माहौल पैदा कर दिया है. लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए बंकर बनाना शुरू कर दिया है. हम मुख्यमंत्री और उनके सचिव से इस बारे में स्पष्टीकरण की मांग करते हैं.” गौरतलब है कि इंफाल घाटी में बसे मैतेई समुदाय और समीपवर्ती पहाड़ियों में बसे कुकी समुदाय के बीच पिछले वर्ष मई से जातीय हिंसा जारी है, जिसमें अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोग बेघर हो चुके हैं.

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