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कैसा है नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैंपस, क्या है खासियत?

पीएम मोदी ने आज बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन किया. मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी में 26 देशों के स्टूडेंट्स विभिन्न कोर्सो में पढ़ाई कर रहे हैं. यहां विदेशी छात्रों को लिए 137 छात्रवृत्ति भी शुरू की गई है. विश्वविद्यालय में पीजी, पीजी डिप्लोमा, पीएचडी और शाॅर्ट टर्म कोर्स संचालित किए जाते हैं. नए कैंपस का निर्माण 1 हजार 750 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है. आइए जानते हैं नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस की खासियत क्या है.

नए कैंपस में कई भवनों को हाईटेक तकनीक से बनाया गया है, जो गर्मी के दिनों में ठंड और ठंड के दिनों में गर्म रहते हैं. नए कैंपस के निर्माण में कुल करीब 1 हजार 750 करोड़ रुपए की लागत आई है. इसका निर्माण कार्य 2017 में शुरू किया गया था. विश्वविद्यालय में खुद का पावर प्लांट भी है. नए कैंपस में पीएचडी से लेकर बौद्ध अध्ययन तक की पढ़ाई कराई जाएगी.

बनाए गए हैं दो एकेडमिक ब्लाॅक

नए कैंपस में दो एकेडमिक ब्लाॅक बनाए गए हैं, जिसमें कुल 40 क्लासरूम हैं और करीब 1900 स्टूडेंट्स के बैठने की व्यवस्था है. एक बड़े आडिटोरियम का भी निर्माण किया गया है, जिसमें 300 लोगों के बैठने की व्यवस्था है. वहीं यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए फैकल्टी क्लब और खेल परिसर का भी निर्माण किया गया है.

455 एकड़ में है नया कैंपस

नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का परिसर कुल 455 एकड़ में फैला हुआ है. यहां वाटर री-साइकल का प्लांट भी लगाया गया है. नए कैंपस में पर्यावरण के अनुकूल पढ़ाई और एक्टिविटी कराई जाएगी. मैनेजमेंट और इतिहास की पढ़ाई के लिए अलग-अलग स्कूल बनाए गए हैं. यूनिवर्सिटी ने आस्ट्रेलिया, भूटान, चीन, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैड, वियतनाम सहित कुल 17 देशों से साथ एमओयू साइन किया है. नए कैंपस का निर्माण नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत किया गया है.

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