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भारतीय सेना को मिलीं 35 हजार AK-203 असॉल्ट राइफल्स, जानिए इसकी खासियत

नई दिल्ली: भारत और रूस के संयुक्त उद्यम इंडो-रूसी राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) ने भारतीय सेना को 35,000 एके-203 कलाश्निकोव असॉल्ट राइफलें सौंप दी हैं. मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बनाई गई ये राइफल्स सेना को ताकतवर बनाएंगी. भारत-असेंबल कलाश्निकोव एके-203 असॉल्ट राइफलें यूपी के अमेठी जिले में लगाई गई फैक्ट्री में बनाई गई हैं.

भारत और रूस के बीच समझौते के तहत न केवल भारत में एके-203 राइफलों का उत्पादन सुनिश्चित किया गया है बल्कि इसमें व्यापक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी शामिल है. अमेठी में इंडो-रूसी राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड को 6 लाख 70 हजार राइफल बनाने का ऑर्डर मिला हुआ है.

उत्तर प्रदेश के अमेठी में कोरवा आयुध कारखाने में उत्पादन सुविधाएं पूरी तरह से अत्याधुनिक मशीनरी और प्रौद्योगिकी से सुसज्जित हैं. यहां अब उच्च गुणवत्ता वाली असॉल्ट राइफलों का निर्माण तेजी से जारी है. इन सुविधाओं को स्थापित करने में भारतीय और रूसी संस्थाओं के बीच सहयोग महत्वपूर्ण रहा है.

बता दें कि AK-203 असॉल्ट राइफल AK-200 श्रृंखला का एक आधुनिक संस्करण है. इसमें 7.62×39 मिमी कारतूस प्रयोग किए जाते हैं. यह राइफल कलाश्निकोव राइफल्स के पारंपरिक खूबियों को बरकरार रखती है। इसका रखरखाव आसान है. ये राइफल उच्च गुणवत्ता वाले मानकों को पूरा करती है और विभिन्न परिचालन स्थितियों में अपेक्षित प्रदर्शन करती है. यही कारण है इसे भारतीय सेना के लिए उपयुक्त विकल्प बनाते हैं.

एके- 203 राइफल, एके सीरीज की सबसे घातक और आधुनिक राइफल है. इसमें वे सभी खूबियां हैं जिनकी जरूरत युद्धक्षेत्र में एक सैनिक को होती है. एके- 203 का वजन केवल 3.8 किलोग्राम है और सिर्फ 705 मिमी लंबी है. छोटी और हल्की होने के कारण इसे लंबे समय तक उठाया जा सकता है और इससे जवान थकते कम हैं.

एके- 203 राइफल में 7.62×39एमएम की गोलियां लगती हैं और इसकी रेंज 800 मीटर है. इसका मतलब ये है कि अगर एके- 203 की रेंज में आ गए तो किसी भी दुश्मन का बचना मुश्किल है. ये असाल्ट राइफल एक मिनट में 700 गोलियां दाग सकती है. एके- 203 राइफल में 30 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है. इतना ही नहीं दुश्मन को दूर से ही दूरबीन से देखने के लिए इसमें आयरन साइट के साथ पिकैटिनी रेल लगी है. यही खासियत इसे और घातक बनाती है. दरअसल बाकी असॉल्ट राइफल्स में किसी खास तरह की दूरबीन ही लगाई जा सकती है लेकिन एके- 203 में दुनिया की कोई भी दूरबीन फिट की जा सकती है.

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