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मोदी सरकार के लिए वक्फ संशोधन विधेयक पास कराना अब आसान नहीं ! BJD भी हुई बिल के खिलाफ

भुवनेश्वर: भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लिए वक्फ संशोधन विधेयक को राज्यसभा में पास कराना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. कभी मोदी सरकार के तमाम फैसलों के साथ खड़ी होने वाली पार्टी बीजेडी ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने का एलान किया है. ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल (बीजेडी) के अध्यक्ष नवीन पटनायक ने गुरुवार को कहा कि अगर संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया जाता है तो उनकी पार्टी इसका कड़ा विरोध करेगी.

बता दें, लोकसभा में बीजेडी का एक भी सांसद नहीं है, लेकिन राज्यसभा में इसके आठ सदस्य हैं.

भुवनेश्वर में शंख भवन में बीजेडी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की बैठक के समापन सत्र को संबोधित करते हुए पटनायक ने कहा कि ओडिशा सद्भाव, भाईचारे और शांति के लिए जाना जाता है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर यह विधेयक संसद में पेश किया जाता है तो बीजेडी इसका कड़ा विरोध करेगी. पटनायक ने कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक विविधता पर गर्व है. समृद्ध देश के निर्माण के लिए सभी के सहयोग की जरूरत है. पटनायक ने यह भी दावा किया कि वह हर दिन अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों से मिल रहे हैं और वे ‘असुरक्षा की भावना’ व्यक्त की है.

राज्यसभा सांसद मुन्ना खान का बयान
बीजेडी के राज्यसभा सांसद मुन्ना खान ने कहा कि उनकी पार्टी राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करेगी. बीजेडी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष खान ने कहा, भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार संसद में वक्फ संशोधन विधेयक लाने की कोशिश कर रही है. वक्फ संशोधन विधेयक के लिए जेपीसी का गठन किया गया है. बीजेडी वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करेगी. बीजेडी अध्यक्ष नवीन पटनायक ने हमें इस बारे में स्पष्ट निर्देश दिए हैं. हम संसद में इस विधेयक का विरोध करेंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में ओडिशा में बीजेडी की सरकार थी. हम संघीय व्यवस्था में केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे थे. हमने ओडिशा को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार का समर्थन किया है. हमने विरोध भी किया है. उन्होंने हमारी इस आस्था को नहीं माना कि हमने भाजपा का समर्थन किया था.

बता दें, बीजेडी से पहले भाजपा के सहयोगी दलों ने भी वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर आपत्ति जताई है. जेडीयू, लोक जनशक्ति और टीडीपी ने भी विधेयक का विरोध किया है. देश में मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न राजनीतिक दल प्रस्तावित कानून में बदलाव चाहते हैं.

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