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जबलपुर कबाड़खाना ब्लास्ट: आमला एयरफोर्स से भी खरीदे बम स्क्रैप, आरोपी के बेटे ने पुलिस रिमांड के दौरान बताया, कबाड़ से बनाई करोड़ों की प्रॉपर्टी

25 अप्रैल को जबलपुर में हुए भीषण विस्फोट की जांच देश की सभी केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं। जांच में एनआईए, एनएसजी, आइबी, मिलिट्री एजेंसी सहित मध्यप्रदेश पुलिस भी लगी हुई है।

खजरी-खिरिया स्थित मोहम्मद शमीम के जिस गोदाम में ब्लास्ट हुआ था, उसे शमीम ने अपने बेटे फहीम के नाम पर लिख रहा है। गोदाम के बाहर बाकायदा बोर्ड लगाया गया, जिसमें लिखा है- प्रदेश के पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने हेतु भारत सरकार का उपक्रम-वाहन स्क्रैप पॉलिसी 2021 के अंतर्गत वाहन स्क्रैप करने के लाभ-सर्टिफिकेट (वैधता 2 वर्ष)…।

जबलपुर आरटीओ जितेंद्र कुमार रघुवंशी का कहना है कि शमीम ने यह आवेदन ऑनलाइन किया था। ऑनलाइन उसने जो अनुमति चाही थी, उसके आधार पर उसे स्क्रैप सेंटर खोलने का अधिकार दिया गया था। स्क्रैप सेंटर के लाइसेंस को केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। एक आवेदन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पास भी जाता है।

फहीम-सुल्तान की पुलिस रिमांड खत्म

मोहम्मद शमीम फरार है। उसका बेटा फहीम और पार्टनर सुल्तान पुलिस गिरफ्त से नहीं बच पाए। पुलिस ने पूछताछ के लिए दोनों की 30 अप्रैल तक रिमांड ली थी। आज दोनों की पुलिस रिमांड खत्म रही है, जिन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुलिस पूछताछ में फहीम ने बताया था कि आयुध निर्माणी खमरिया और बैतूल स्थित आमला एयरफोर्स से बमों के स्क्रैप खरीदते थे।

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस की जांच टीम का दायरा अब आमला एयरफोर्स तक पहुंच गया है। सूत्र बताते हैं कि एनआईए ने भी आमला एयरफोर्स के अफसरों से संपर्क किया है। टीम अब इसकी भी जांच कर रही है कि शमीम या फिर उसके साथी कबाड़ी ने आमला से कब स्क्रैप खरीदा था।

बमों के खोल से निकाला करता था बारूद

पता चला है कि शमीम कबाड़ी के द्वारा बमों के खोल से गोदाम के भीतर बारूद निकाला जाता था। इसकी पुष्टि पुलिस की जांच में भी हुई है। लेकिन, बमों से निकाले गए बारूद को वह रखता कहां पर था, इसका पुलिस अभी तक पता नहीं लगा पाई है। नेशनल सिक्योरिटी गार्ड और नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी टीम ने भी यह पता करने का प्रयास किया, पर जब तक शमीम पकड़ा नहीं जाता, तब तक यह सभी के लिए पहेली बनी रहेगी। गोदाम में मिले बमों के खोल की जांच की गई तो पता चला कि ये सेल छह से सात साल पुराने हैं।

पांच साल में बन गया करोड़पति

जबलपुर के अधारताल आनंद नगर का रहने वाला मोहम्मद शमीम आज से पांच साल तक छोटा-मोटा कबाड़ी था। अचानक ही इसके काम में तेजी आ गई। देखते ही देखते इस ने करोड़ रुपए की संपत्ति शहर के अलग-अलग स्थानों में बना ली। 2018 में मोहम्मद शमीम और मोहम्मद शमीम वल्द मोहम्मद बशीर पर 10 लाख रुपए कीमत का 43 मीट्रिक टन रेलवे का लोहा चोरी करने के आरोप में आरपीएफ ने इसे पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद इसके गोदामों से चोरी में इस्तेमाल चार ट्रकों और टाटा सफारी की जब्ती भी की गई थी।

शमीम चोरी का माल छिपाने के लिए जबलपुर और सागर के कई गोदामों का उपयोग करता था और वहीं पर माल भेजा करता था। जबलपुर और सागर के विभिन्न थानों में शमीम के खिलाफ केस दर्ज हैं। वह चोरी का लोहा रायपुर, भोपाल और इंदौर की विभिन्न फाउंड्री (धातु पिघलाने वाला कारखाना) में भेज करता था, इसका भी खुलासा आरपीएफ पुलिस ने जांच के दौरान किया था।

बताया यह भा जाता है कि यह एक संगठित गिरोह चलाता है। पुलिस-प्रशासन फरार शमीम और उसके बेटे की संपत्ति का ब्यौरा जुटाने में लगी हुई है। शमीम और उसके बेटे ने कबाड़ की कमाई से शहर में कई संपत्तियां खरीदी और बचने के लिए परिचितों के नाम कर दीं। जिन लग्जरी गाडियों में शमीम और उसका परिवार घूमता था, वह साथ में काम करने वाले कर्मचारियों के नाम पर रजिस्टर्ड थीं।

कौन सच्चा-कौन झूठा

पुलिस पूछताछ में मोहम्मद शमीम के बेटे फहीम ने बताया कि ओएफके और बैतूल के आमला से बमों के स्क्रैप खरीदे थे। दूसरी तरफ आयुध निर्माणी खमरिया के अधिकारियों का दावा है कि पिछले पांच सालों से शमीम की फर्म को कोई भी स्क्रैप नहीं बेचा। मामले में आयुध निर्माणी खमरिया के अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका भी पुलिस को है।

पता लगाया जा रहा है कि शमीम का ओएफके से कितना पुराना कनेक्शन है। ओएफके से स्क्रैप खरीदने वाले कबाड़ियों और उन्हें स्क्रैप बेचने वाली समिति पर भी एनआईए, एनएसजी और पुलिस की नजर है। पुलिस उनके मूवमेंट को भी खंगाल रही है।

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