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कबीरधाम: जटायु गिद्ध को बचाने गणना शुरू, MP और छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्र में गिद्धों का सर्वे

कबीरधाम जिले में जटायु गिद्ध की गणना की जा रही है. गणना की शुरुआत 8 अप्रैल 2024 को अचानकमार टाइगर रिजर्व से प्रारंभ किया गया. अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र से लगे 500 किमी दायरे में आने वाले मध्यप्रदेश के 10 जिले और छत्तीसगढ़ के 5 जिलों में किया जाएगा. बिलासपुर, मुंगेली, कटघोरा वन मंडल के बाद अब कबीरधाम जिले में गणना का कार्य किया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ में पहली बार भारत देश में 99 प्रतिशत विलुप्त हो चुके जटायु गिद्ध को बचाने अभियान चलाया जा रहा है. गिद्धों के अनुकूल वातावरण बनाने और उनकी पसंदीदा चीजों को उनके इलाके में व्यस्त किया जा सके, ताकि देशभर में विलुप्त हो चुके जटायु गिद्ध पक्षी को बचाया जा सके. इसके लिए वल्चर कंजर्वेशन एसोसिएशन की टीम विशेष अभियान चला रही है.

अचानकमार टाइगर रिजर्व वल्चर कंजर्वेशन एसोसिएट अभिजीत शर्मा ने बताया कि कबीरधाम जिले के वन मंडल अंतर्गत पूर्व में व्हाइट रम्प्ड वल्चर ( बंगाल का गिद्ध) पाये जाने की सूचना मिली थी. वर्तमान में सर्वे के दौरान इजिप्शियन वल्चर (सफेद गिद्ध) पाया गया है. इस लिहाज से उम्मीद है कि इस विलुप्त प्रजाति का गिद्ध इस क्षेत्र पाया जा सकता है. इसलिए सर्वे कराया जा रहा है.

सर्वे टीम के प्रमुख अधिकारी अभिजीत शर्मा बताते हैं कि 1990 के पहले गिद्ध बहुत ही आसानी से देखे जाते थे, लेकिन 1990 से 2008 के बाद दिखाई नहीं देते हैं. इसके पीछे प्रमुख कारण बीमार मवेशियों पर जहरीली दवाओं का इस्तेमाल करना है. लोग सस्ती कीमत वाले दवाइयों के चक्कर में बाजार से खरीद कर मवेशियों को खिला देते हैं लेकिन इसका असर गिद्ध पर पड़ता है.

जब मवेशी की मौत हो जाती है तो गिद्ध मृत मवेशी को अपना भोजन बनाते हैं. मृत मवेशी के शरीर में डाइक्लोफेनेक दवा मांस के जरिए गिद्धों के पेट में तक पहुंचता है. इससे गिद्ध की किडनी फेल हो जाती है और उसकी मौत हो जाती है. इसकी पुष्टि होने के बाद भारत सरकार ने डाइक्लोफेनेक, एसिक्लोफेनेक और केटोइक्लोफिनेक दवा को गिद्ध के लिए खतरनाक पाए जाने पर प्रतिबंधित किया है.

कबीरधाम जिले के वन मंडल अधिकारी शशि कुमार ने बताया कि जिले के वनांचल क्षेत्र में गिद्धों का सर्वे किया जा रहा है. यह काम सोमवार से शुरू हुआ है जो एक सप्ताह तक चलेगा. पूरे देश में विलुप्त हो चुकी गिद्धों के संरक्षण कार्य किया जा रहा है.

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