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Kedarnath Dham: इस बार मंदाकिनी नदी किनारे बने आस्था पथ से होकर मंदिर तक पहुंचेंगे श्रद्धालु, नजर आएंगे बदलाव

मई से शुरू हो रही केदारनाथ यात्रा में इस बार मंदिर मार्ग पर भक्तों की लंबी लाइन नजर नहीं आएगी। यहां मंदिर मार्ग पर सीवर लाइन बिछाने के लिए खोदाई की गई है, जिस कारण यहां उबड़-खाबड़ हो रखा है। ऐसे में बाबा केदार के भक्त मंदाकिनी नदी किनारे बने आस्था पथ से होकर मंदिर तक पहुंचेंगे।

समुद्रतल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक केदारनाथ धाम में दूसरे चरण के पुनर्निर्माण कार्य जोरों पर चल रहे हैं। धाम में संगम पर 54 मीटर लंबा पुल, अस्पताल भवन, यात्रा कंट्रोल रूम, संगम धाट, शिव उद्यान, विश्राम गृह और मंदिर परिसर पर सीवर लाइन बिछाने के लिए खोदाई का काम चल रहा है।

इन दिनों यहां इन कार्यों को पूरा करने के लिए लोनिवि सहित अन्य कार्यदायी संस्थाओं के 700 से अधिक मजदूर काम कर रहे हैं। गोल चबूतरा से मंदिर परिसर की सीढि़यों तक बीचोंबीच की गई खोदाई के कारण यहां पूरा रास्ता बदहाल हो गया है, जिस पर आवाजाही संभव नहीं है। ऐसे में 10 मई से शुरू हो रही बाबा केदार की यात्रा में यह मंदिर मार्ग भक्तों से वीरान रहेगा।

इस बार श्रद्धालु इस रास्ते की बजाय हाट बाजार के पीछे बने सरस्वती आस्था पथ से होकर संगम पर पहुंचेंगे और वहां से मंदाकिनी नदी आस्था पथ से होकर मंदिर पहुंचेंगे। मंदिर के दायीं तरफ श्रद्धालुओं के लिए भव्य रेन शेल्टर भी बनाया गया है।

इधर, केदारनाथ विधानसभा के पूर्व विधायक मनोज रावत का कहना है कि पुनर्निर्माण के नाम पर केदारनाथ में मनमाने तरीके से खोदाई की जा रही है, जो कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकती है। वर्ष 2017-18 में करोड़ों रुपये खर्च कर मंदिर परिसर और मंदिर मार्ग का विस्तार किया गया।

यहां कई आवासीय मकान भी बनाए गए। लेकिन बीते वर्षों में रास्ते के विस्तार को लेकर कुछ मकान तोड़े गए और अब पूरा मंदिर मार्ग ही खोद दिया गया है, जो समझ से परे है।

केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य जोरों पर चल रहे हैं। केदारनाथ मंदिर मार्ग पर सीवर लाइन बिछाने की योजना है, जिसके तहत कुछ हिस्से में खुदाई की गई है। इसलिए, इस बार यात्रा का संचालन संगम के किनारे से मंदाकिनी नदी आस्था पथ से होगा। मंदिर के दाई तरफ कुछ दूरी पर भक्तों के लिए रेन शेल्टर भी बनाया गया है। – विनय झिक्वांण, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग, गुप्तकाशी

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