झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. भाजपा नेता कुणाल सारंगी के झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होने के बाद उन्होंने एक बड़ा बयान दिया. पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा, “मैं अपने परिवार में वापस आ गया हूं. अब मैं दोबारा बीजेपी में नहीं जाऊंगा. यही वह मंच है, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मुझे झारखंड की राजनीति में प्रवेश करने और लोगों की सेवा करने का मौका दिया था.” सारंगी ने कहा, “मैंने बीजेपी इसलिए जॉइन की थी कि शायद यह एक राष्ट्रीय मंच है और इसके जरिए मुझे अधिक से अधिक लोगों की सेवा करने का अवसर मिलेगा, लेकिन सब कुछ इसके विपरीत हुआ. बीजेपी में केवल एक ही पैमाना है, अगर आपको प्रमोशन चाहिए, तो पूरी तरह से चापलूसी करनी होगी और भ्रष्टाचार के कुछ डिग्री भी हासिल करने पड़ेंगे.”
बीजेपी की प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही नेताओं का झामुमो में शामिल होने का सिलसिला शुरू हो गया है. बीजेपी की पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने भी कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर झामुमो का दामन थाम लिया है.
बीजेपी से थे नाराज
साल 2014 में बहरागोड़ा विधानसभा से झामुमो के टिकट पर कुणाल सारंगी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. साल 2019 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा, लेकिन विधानसभा चुनाव में उन्हें झामुमो के समीर मोहंती के हाथों हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव के बाद कुणाल अपने क्षेत्र में लोकसभा की तैयारी में लग गए, लेकिन इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. बाद में उन्होंने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया.
CM सोरेन ने किया स्वागत
कुणाल सारंगी के झामुमो में शामिल होने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनका स्वागत करते हुए लिखा, “बहरागोड़ा विधानसभा के पूर्व विधायक और युवा, जुझारू नेता कुणाल सारंगी का झामुमो के परिवार में दोबारा स्वागत है.” कुणाल सारंगी के साथ लुईस मरांडी भी सोरेन की पार्टी में शामिल हुईं. दुमका की पूर्व विधायक लुईस मरांडी, जिन्होंने 2014 के चुनाव में हेमंत सोरेन को पराजित किया था, ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लंबी-चौड़ी चिट्ठी लिखकर अपनी नाराजगी जताई. उन्होंने पार्टी के अंदर साजिश, गुटबाजी, और अनुशासनहीनता का आरोप लगाया है.