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महाराष्ट्र: MVA की बैठक में 60 फीसदी सीटों पर राय बनी, बगावत से बचने के लिए स्थानीय नेताओं पर फोकस

महाविकास आघाड़ी में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला लगभग तय हो गया है. सूत्रों की मानें तो 288 सीटों में से, ठाकरे को 100 सीटें कांग्रेस को भी 100 सीटें, पवार की एनसीपी को 84 सीटें और 4 सीटें सहयोगियों के लिए हैं. माना जा रहा है कि तीनों पार्टियां 60 फीसदी सीटों पर एकमत हो गई हैं.

कुछ स्थानों पर सीट एक्सचेंज करने को लेकर अनबन हैं, लेकिन नेताओं का कहना है की स्थानीय नेताओं को भी विश्वास में लेकर जल्द ही उसे भी सुलझा लिया जाएगा. MVA बगावती नेताओं पर नजर बनाए हुए है जो खेला खराब कर सकते हैं. इसलिए स्थानीय नेताओं को भरोसे में लेने की बात कह रहे है.

बैठक में महाराष्ट्र की राजनीति पर भी हुई चर्चा

एमवीए की बैठक के बाद एनसीपी शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि पहले चर्चा तो महाराष्ट्र की राजनीति पर हुई जो माहौल गंदा करने का काम चल रहा है, जो दंगे भड़काने का प्रयास किया जा रहा है उसके ऊपर बात हुई. देश की बदलती हुई राजनीति पर चर्चा हुई और सीटों पर भी चर्चा हुई है. जहां तक सीट शेयरिंग की बात हैं राज्य में 288 सीटें हैं तो विवाद तो होगा ही, लेकिन जो अपनापन दिखाई दे रहा है यह पहले मैंने कभी नहीं देखा.

जितेंद्र आव्हाड बोले- एमवीएम में कोई खींचातानी नहीं

उन्होंने कहा कि कोई खींचातानी नहीं है, सब लोग शांत माहौल में बात कर रहे हैं. सीट एक्सचेंज के मुद्दे पर जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि सीट की अदला बदली तो करनी ही पड़ेगी. उम्मीदवार एक्सचेंज को करना ही पड़ेगा. अगली बैठक के सवाल पर उन्होंने कहा कि कल अगली बैठक होगी.

पीएम मोदी के बयान को बताया राजनीति से प्रेरित

कर्नाटक में गणपति की मूर्ति को पुलिस की गाड़ी में रखने को लेकर पीएम मोदी के बयान पर जितेंद्र आव्हाडने कहा कि पता नहीं वो इस तरह का बयान क्यों देते हैं. क्या हम गणपति का विरोध करेंगे. गणपति बप्पा का राजनीतिकरण सिर्फ राजनीति के लिए किया जा रहा है. ऐसा नहीं होना चाहिए.

महाराष्ट्र में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव से पहले सत्ताधारी दल के साथ-साथ विरोधी दलों के बीच अब सीटों के लेकर चर्चा शुरू हो गई है. राज्य में एक तरफ बीजेपी-शिवसेना और अजित पवार गुट की एनसीपी है तो दूसरी ओर एमवीए है जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना और शरद पवार गुट की एनसीपी है. मुख्य रूप से इन्ही छह दलों के बीच में सियासी लड़ाई है.

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