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पाकिस्तान बना UNSC का मेंबर…जानें इससे क्या-क्या फायदे मिलेंगे?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पांच अस्थायी सीटों के लिए हुए चुनाव में पाकिस्तान को चुन लिया गया है. 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुप्त मतदान के जरिए खाली पांच सीटों पर चुनाव कराया. इसमें जीत हासिल करने के लिए 193 देशों से दो-तिहाई बहुमत यानी 128 वोटों की जरूरत थी. पाकिस्तान के अलावा इन सीटों पर डेनमार्क, ग्रीस,पनामा और सोमालिया का चुनाव किया गया है. अब इन देशों को दो साल तक अपनी सेवा सुरक्षा परिषद को देनी होगी और इनका कार्यकाल अगले साल यानी 2025 से शुरू होगा.

पाकिस्तान को अस्थायी सदस्यता मिलने पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का कहना है, हमारा देश दुनिया की चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्सुक है. हम देशों के बीच शांति, स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अपनी भूमिका निभाते रहेंगे. आइए जान लेते हैं कि सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने के बाद पाकिस्तान को क्या-क्या फायदा होगा.

क्या है UNSC?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को वैश्विक सुरक्षा प्रबंधन के लिए सबसे बड़ा मंच माना जाता है. इसी के कंधों पर विश्व में शांति व्यवस्था बनाए रखने और सामूहिक सुरक्षा के सिद्धांत का पालन कराने का जिम्मा होता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता में समय-समय पर बदलाव होता रहता है, जैसा इस बार भी हुआ है.

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 10 अस्थायी सदस्यों में जापान, इक्वाडोर, मोजांबिक, माल्टा और स्विटजरलैंड शामिल थे, जिनका कार्यकाल 31 दिसंबर को ही खत्म हो चुका है. इनकी जगह भरने के लिए हुए चुनाव में अफ्रीकी और एशिया-प्रशांत देशों की दो सीटों के लिए सोमालिया को 179 मत मिले तो पाकिस्तान को 182 वोट हासिल हुए. वहीं, लैटिन अमेरिकी और कैरिबियाई देशों के लिए पनामा को 183, पश्चिमी यूरोपीय व अन्य देशों के लिए डेनमार्क को 184 व ग्रीस को 182 वोट हासिल हुए. इन पांचों नए सदस्यों का कार्यकाल एक जनवरी 2025 से शुरू होगा.

15 सदस्यों में से पांच के पास वीटो का अधिकार

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र संघ की सबसे महत्वपूर्ण इकाई सुरक्षा परिषद का गठन दूसरे विश्व युद्ध के दौरान साल 1945 में किया गया था. मूल रूप से इसके 11 सदस्य थे, जिनकी संख्या साल 1965 में बढ़ाकर 15 कर दी गई, जिससे दुनिया भर में क्षेत्रीय स्थिरता बनी रह सके. इसके पांच स्थायी सदस्य ब्रिटेन, अमेरिकी, फ्रांस, रूस और चीन हैं. इनके पास वीटो का अधिकार होता है यानी किसी मुद्दे पर अगर सभी सदस्य देश सहमत भी हो जाते हैं पर स्थायी सदस्यों में से कोई एक देश सहमत नहीं होता तो वह वीटो कर देता है और वह मुद्दा या प्रस्ताव खारिज हो जाता है. स्थायी सदस्यों के अलावा 10 अस्थायी सदस्य चुने जाते हैं, जिनका कार्यकाल दो साल के लिए होता है.

पाकिस्तान चाहे तो सुधार सकता है अपनी छवि

पाकिस्तान के सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने पर अपने ही फायदे हैं. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम रखने वाले संयुक्त राष्ट्र के सबसे शक्तिशाली निकाय का सदस्य बनने पर दुनिया भर में पाकिस्तान की छवि सुधरेगी. आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के रूप में चिह्नित पाकिस्तान के पास अब अपनी इमेज सुधारने का मौका है. शांति अभियानों में अपना योगदान देकर पाकिस्तान इस दिशा में कदम आगे बढ़ा सकता है.

 

चीन के जरिए भारत के खिलाफ बोलेगा पाकिस्तान

भारत लगातार सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. चीन और पाकिस्तान इसमें रोड़े अटकाते रहते हैं. अब पाकिस्तान सुरक्षा परिषद में खुद के लिए स्थायी सदस्यता की वकालत कर सकता है. हालांकि, यह काफी दूर की कौड़ी होगी. फिर भी अपने आका और वीटो पावर वाले चीन की मदद से वह भारत के खिलाफ अपने मुद्दों को इस फोरम पर उठा सकता है. वैसे भी संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की ओर से हर बार एक ही धुन बजती है, जिसमें कश्मीर राग अलापा जाता है.

इसके अलावा सुरक्षा परिषद की संयुक्त राष्ट्र संघ का एक ऐसा निकाय है, जिसके प्रस्ताव सभी सदस्य देशों को लागू करना बाध्यता है. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सदस्य देश इसके फैसलों का पालन करने के लिए बाध्य होते हैं. UN की सुरक्षा से जुड़ी बैठकों में इन्हें अस्थायी मेंबर को शामिल होने का मौका मिलता है.

सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बनने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि अब पाकिस्तान वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने के लिए उत्सुक है. उनका देश दूसरे देशों के बीच शांति-स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभाएगा.

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