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पापा, मैं लड़की नहीं लड़का हूं…प्लीज, मुझसे नफरत मत करना…पढ़ें, जेंडर चेंज की सच्ची कहानियां

सना (बदला हुआ नाम) का जन्म एक मिडिल क्लास फैमिली में एक लड़के के रूप में हुआ था. वह भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी और उसे सबसे ज्यादा लगाव अपनी मां से था. सना पढ़ाई में शुरू से बेहद होशियार थी लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ी हुई, चीजें बदलने लगीं. 15-16 साल की उम्र तक आते-आते उसे एहसास होने लगा था कि उसके साथ सबकुछ ठीक नहीं है. उसका शरीर बेशक एक लड़के का था लेकिन वो लड़कियों की चीजों में ज्यादा सहज महसूस करने लगी थी. घर में सना को कोई नही समझता था. ये बात उसे अंदर ही अंदर परेशान करता रही जिसकी वजह से वो एंजायटी, डिप्रेशन में रहने लगी और उसे लोगों के साथ रहने के बजाय अकेले रहना ज्यादा पसंद आने लगा. यही वजह थी कि सना का स्कूल और घर में कोई खास दोस्त नहीं था जिसके साथ वो अपना दर्द बांट पाती.

12वीं के बाद जब वो ग्रेजुएशन करने दूसरे शहर गई तो उसका वही डर और एंजायटी वापस लौट आई. सना के छोटे भाई ने उसकी कुछ तस्वीरें घर में मां-बाप और बाकी परिवार को दिखा दीं जो उसने लड़की के रूप में अपने किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट की थीं. इसके बाद सना पर ये घटना पहाड़ बनकर टूटी.

जेंडर चेंज करवाने को लेकर परिवार का रवैया

जब सना पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हुई और उसने इस शरीर रूपी पिंजरे से आजाद होना चाहा तो वो स्तब्ध रह गई, जब सबसे ज्यादा प्यार करने वाली मां ही उसके खिलाफ हो गई. लेकिन उसने 2018 में अपने परिवार के खिलाफ जाकर सर्जरी करवाई जिसके बाद उसके परिवार ने उससे मुंह मोड़ लिया और आज सना के अपने ही घर जाने पर पाबंदी है. ये एक नहीं बल्कि हजारों ऐसी सना की कहानी है जो अपने परिवार के इस रवैये का शिकार होती हैं कि उनका परिवार ही उन्हें समझ नहीं पाता लेकिन आज सना अपनी नई पहचान के साथ बेहद खुश है और मेडिकल फील्ड में काम करती है.

आजाद की अजूबी दास्तान

सना को जहां अपने परिवार ने ही दुत्कार दिया वहीं आजाद (बदला हुआ नाम) को इस मामले में अपने परिवार और खासकर अपने पिता का पूरा साथ मिला. आजाद का जन्म एक ज्वाइंट फैमिली में एक लड़की के रूप में हुआ था. आजाद को बेहद कम उम्र से ही एहसास हो गया था कि वो गलत शरीर में पैदा हो गया है. इसलिए उसे लड़कियों की तरह फ्रॉक पहनने से ज्यादा दिलचस्पी लड़कों की तरह जींस-टीशर्ट पहनने में थी. वो बचपन से ही अपने बाल छोटे रखता था और घर के सामान की खरीदारी करने जाता था. 19 साल का होते-होते उसका सब्र जवाब दे चुका था और उसने एक दिन इस बारे में अपने पापा से बात करने का मन बनाया. उसने रोते स्वर में पापा को पूरी बात बताई.

इंटरनेट का जमाना होने के चलते आज हर कोई इस बात को बखूबी जानता और समझता है लेकिन काफी कम लोग आज भी इस बात को स्वीकार कर पाए हैं. हालांकि घर के बाकी सदस्य आजाद की परेशानी समझ नहीं पाए लेकिन आजाद को अपने पापा-मम्मी का भरपूर साथ मिला. आजाद ने पापा की मदद से दिल्ली के एक बड़े अस्पताल से सर्जरी करवाई जिसमें 1 साल तक का समय लगा. आज 26 साल की उम्र में आजाद एक खुशनुमा लड़का है और एक बेहद सफल जिम ट्रेनर है. आप उसकी नई पहचान देखकर अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि आजाद ने उस समय किस दर्द को महसूस किया है.

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