Asli Awaz

सवाल अडानी के भ्रष्टाचार पर पूछा जाता है, पसीना भाजपा को आने लगता है।

एक गाना है…चोट तुझे लगे दर्द मुझे होता है, भाई-भाई में अक्सर ये होता है….

भाई-भाई का तो समझ में तो आता है, मगर मोदी जी और अडानी के बीच का मामला समझ नहीं आता। जब भी अडानी की जांच की बात होती है, पूरी मोदी सरकार अडानी के बचाव में उतर आती है। सवाल अडानी के भ्रष्टाचार पर पूछा जाता है, पसीना भाजपा को आने लगता है।

जवाब भाजपा के प्रवक्ता देने लगते हैं। ऐसा लगता है कि आरोप अडानी पर नहीं मोदी सरकार पर लगे हों। इससे एक चीज तो स्पष्ट हो जाती है कि अडानी की जांच हुई तो मोदी सरकार की पोल खुल जाएगी। इसीलिए मोदी जी किसी भी कीमत पर अडानी को बचाना चाहते हैं। जो भी नेता अडानी का नाम लेता है, मोदी जी उसके घर ED और CBI भेज देते हैं।अगर अडानी भ्रष्टाचारी नहीं है तो जांच करा लो….दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। मगर जांच के नाम पर सरकार भाग क्यों रही है….कुछ तो है जो सरकार जनता से छिपाना चाहती है। हिंडेनबर्ग की ताजा रिपोर्ट के बाद एक बार फिर से मोदीगैंग अपने चहेते अडानी को बचाने के लिए किसी भी कीमत पर तैयार है। जिस तरह से इकोनॉमी मार्केट को रेगुलेट करने वाली संस्था SEBI की प्रमुख माधवी बुच और उनके पति पर अडानी के साथ सांठगांठ के आरोप लगे हैं, वो बेहद खतरनाक और बड़े सामूहिक लूट की तरफ इशारा करते हैं।

ऐसे ही पिछले साल जब राहुल गांधी सदन में 20 हजार करोड़ रूपये का हिसाब मांग रहे थे…तब भी सरकार के हाथ-पांव फूल रहे थे। केवल अडानी के भ्रष्टाचार की पोल खोलने के कारण भाजपा ने राहुल गाँधी को संसद से अयोग्य घोषित करवा दिया था। राहुल गाँधी जी का घर छीन लिया था।
पत्रकार से लेकर नेता तक….. जिस-जिस ने अडानी के घोटाले पर आवाज उठाई, सरकार ने उन सबको प्रताड़ित किया। किसी की संसद सदस्यता छीनी गई तो किसी पर जांच बैठाई गई तो किसी के घर ED और CBI की रेड पड़ी।विपक्ष चिल्लाता रह गया कि अडानी मामले पर सरकार JPC गठित कर दे…मगर सरकार ने विपक्ष की एक भी मांग नहीं सुनी। आज तक JPC का गठन नहीं हुआ। यदि सरकार की मंशा साफ होती तो JPC गठित करने में इतनी हिचकिचाहट किस बात की थी ?

अडानी घोटाले में मोदी सरकार की भूमिका जितनी शर्मनाक है, उससे अधिक लोकतंत्र के लिए खतरनाक। किसी प्रधानमंत्री का हाथ देश लूटने वाले लुटेरे के कंधे पर कैसे हो सकता है ?
अब देश के लोगों को भी समझ आ गया है कि विकसित भारत का जुमला किस के विकास के लिए दिया जा रहा है। मगर दुर्भाग्य ये है कि तानाशाही की इस दौर में क्या घोटालेबाज की जाँच हो पाएगी?

क्या ED और CBI अपने साहब के आदेश के खिलाफ जाकर अडानी की जाँच करने की हिम्मत दिखा पायेंगे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

CAPTCHA