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1 जुलाई से मोबाइल-ईमेल से दर्ज होगी रिपोर्ट, 3 दिन में साइन करना जरूरी

देश के कानून में आम लोगों की सहूलियत के लिए कई नए प्रावधान किए जा रहे हैं. 1 जुलाई से कानून में जो नए प्रावधान होने जा रहे हैं, उनमें सबसे अहम FIR दर्ज करने की प्रक्रिया है. नए प्रावधान के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी भी केस में फोन या ईमेल के जरिए थाने को सूचना देगा. पुलिस को फौरन FIR दर्ज करनी होगी.

इतना जरूर है कि प्रार्थी या उसके प्रतिनिधि को तीन दिन में थाने पहुंचकर पुलिस की दर्ज FIR में साइन करना जरूरी होगा. अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि ठगी, लूट और कई बार मारपीट की घटना के कई दिन बाद भी पुलिस FIR दर्ज नहीं करती. पीड़ितों को केस दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर काटने पड़ते हैं, नए प्रावधान से ऐसी शिकायतें अब नहीं रहेंगी.

लंबा नहीं खिंचेगा मामला, 14 दिन में DSP को करनी होगी पड़ताल

FIR दर्ज कराने में लोगों की सबसे बड़ी दिक्कत 1 जुलाई से दूर हो जाएगी. फोन पर शिकायत करते ही पुलिस को फौरन केस दर्ज करना होगा. यही नहीं कोई भी पीड़ित देश के किसी भी कोने में हुई घटना की रिपोर्ट कभी भी किसी दूसरे राज्य में पहुंचकर करवा सकेगा.

जैसे रायपुर का कोई व्यक्ति अगर बेंगलुरु या मुंबई जाता है. वहां उसके साथ कोई घटना हो गई. किसी कारणवश या उस समय वहां के थाने पहुंचकर शिकायत नहीं कर सका और उसे फौरन लौटना पड़ा तो, वह रायपुर के किसी भी थाने में पहुंचकर उस घटना की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है. पुलिस यहां जीरो में FIR दर्ज कर केस डायरी संबंधित थाने को ट्रांसफर करेगी. इसके अलावा जांच के नाम पर पुलिस कोई केस लंबा नहीं खींच सकेगी। 14 दिन में DSP रैंक के अफसर को जांच करनी होगी.

आतंकवादी केस: UAPA लगेगा या धारा 113, स्टेट पुलिस को जांच

आतंकी एक्टिविटी जैसे देश की अखंडता एकता के खिलाफ काम करने वालों के खिलाफ मामलों के लिए धारा 113 का प्रावधान किया गया है. इस तरह के मामलों में UAPA भी दर्ज होता है, लेकिन UAPA दर्ज होने पर 99% मामलों में सेंट्रल एजेंसी जांच करती है. अब धारा 113 दर्ज होने पर स्टेट पुलिस जांच कर सकेगी. लेकिन किस केस में UAPA दर्ज करना है और किस केस में धारा 113 के ​तहत अपराध दर्ज करना है, ये एसपी या उससे बड़ी रैंक के अधिकारी तय करेंगे.

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