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तापी: जिले का एक ऐसा गांव जहां हर बार पड़ते हैं शत-प्रतिशत वोट, लेकिन बुनियादी सुविधाओं का पड़ा है सूखा

जिले के बॉर्डर पर सोनगढ़ तालुका का एक अलग-थलग गाँव आया है, जहाँ हर चुनाव में शत-प्रतिशत मतदान होता है, लेकिन इस आदिवासी आबादी वाले गांव को आज़ादी के 75 साल से ज्यादा समय हो गया है, उसके बाद भी सरकारकी बुनियादी सुविधाएं प्राप्त नहीं हुई है.

गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से लगे तापी जिले में ऐसे कई गांव हैं जो आज भी किसी ना किसी सरकारी सुविधाओं से वंचित है, वो गांव बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर हैं. सीमावर्ती गांवों में से एक सोनगढ़ तालुका का एकवागोलन गांव है. यह गांव पहाड़ियों के बीच स्थित है, और तापी जिले में सबसे कम जनसंख्या वाला गांव है. इस गांव की जनसंख्या लगभग 200 लोगों की होगी, इसी लिए इस गांव को समूह गांव में सम्मलित किया होगा. इस गांव की ग्राम पंचायत मेढा है, लेकिन समस्या यह है कि यह गांव अपनी ग्राम पंचायत मेढ़ा गांव से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. मेढ़ा ग्राम पंचायत में इस गांव के लोगों को कोई भी ग्राम पंचायत का काम होता है तो इस गांव के ग्रामीणों को अन्दाजीत बारह गांवों से होकर महाराष्ट्र राज्य के गांव होकर गुजरना पड़ता है. जिससे उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है.

पूरी तरह से आदिवासी आबादी वाले इस गांव के लोग कृषि और पशुपालन से जुड़े हैं. पहाड़ों में बसे इस छोटे से गांव में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं, कक्षा 5 के बाद की शिक्षा या कृषि के लिए बिजली की सुविधा आज भी नहीं है. गांव में आने वाले रास्ते खराब हैं, इसीलिए यहां पर स्वास्थ्य की कोई इमरजेंसी हो तो 108 को आने में भी काफी कठनाई होती है.

इस मामले की असली माहिती लेने के लिए जिम्मेदार सोनगढ़ तालुक विकास अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, मगर अधिकारी ने फोन रिसीव नहीं किया. जबकि सोनगढ़ मामलातदार ने कहा कि उन्हें कार्यभार संभाले 4 महीने ही हुए हैं और उन्हें मामले की जानकारी नहीं है. यदि आवश्यकता होगी तो वह जांच कराएंगे और जरूरी होगा तो कार्रवाई की जाएगी. आज भी ये गांव हर चुनाव में 90 से 100 प्रतिशत मतदान करता है, मगर इस गाँव के लोग आज भी अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं, गांव में राशन का अनाज का अभाव, बसों की असुविधा, खेती के लिए बिजली नहीं, सड़क में गड्ढे या गड्ढों में सड़क? यह समझ में नहीं आता. ऐसी कई समस्याओं से जूझते इस गांव में न तो कोई नेता आया है और न ही कोई अधिकारी, अब देखना यह है कि आजादी के बाद से कई समस्याओं से जूझ रहे गुजरात के इस गांव को गतिशील गुजरात कहने वाले राजनेता इस गांव की तरफ कब आते हैं.

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