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वो क्रिकेटर…जिसे मुर्दों की फोटो देकर दी जाती थी धमकी, सिर्फ 3 मैच में खत्म हो गया IPL करियर, चर्च में की नौकरी

जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान टटेंडा टायबू का आज 41वां जन्मदिन है. आज इनसे जुड़ी एक रोचक कहानी पर बात करेंगे. जिम्बाब्वे के टटेंडा टायबू अब इंग्लैंड के लिवरपूल में अपने परिवार के साथ शांति से जीवन बिता रहे हैं. लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि जिम्बाब्वे का ये क्रिकेटर इंग्लैंड जाकर क्यों बस गया? क्यों उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ा? इसके पीछे एक रोंगटे खड़े कर देने वाला सच है. कुछ ऐसी घटनाएं जिसके बाद कोई भी वही करेगा, जो टटेंडा टायबू ने अपने परिवार की खातिर किया.

साल 2001 में जिम्बाब्वे के लिए इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले क्रिकेटर टटेंडा टायबू ने साल 2012 में अपना आखिरी मैच खेला. इस दौरान उन्होंने सचिन तेंदुलकर के दौर से लेकर विराट कोहली के वक्त तक को तो करीब से देखा ही. लेकिन इसके अलावा भी बहुत कुछ और देखा. उनके साथ किडनैपिंग, जान से मारने की धमकी जैसी बहुत सारी चीजें ऐसी हुईं, जो नहीं होनी चाहिए थी. लेकिन, जब सरकार ही आपके खिलाफ हो तो आप कर भी क्या सकते हैं? टायबू को भी सब इसी वजह से भुगतना पड़ रहा था क्योंकि वो जिम्बाब्वे सरकार की आंखों में खटक रहे थे.

टटेंडा टायबू ने साल 2019 में ‘कीपर ऑफ फेथ’ के नाम से ऑटोबायोग्राफी लिखी, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे मुर्दों की फोटो देकर उन्हें डराया और धमकाया जाता था. इस किताब में उन्होंने बताया कि जिम्बाब्वे में हुए सामाजिक और राजनीतिक बदलावों का उन पर क्या असर हुआ? उनके परिवार को कैसे वक्त से गुजरना पड़ा? और, क्यों उन्होंने जिम्बाब्वे छोड़ दिया?

साल 2004 में टायबू जिम्बाब्वे की टेस्ट टीम के कप्तान बनाए गए. 20 साल 358 दिन की उम्र में किसी देश की टेस्ट टीम की कमान संभालने टायबू उस वक्त दुनिया के सबसे छोटे खिलाड़ी थे. उनके इस रिकॉर्ड को 2019 में अफगानिस्तान के राशिद खान ने 8 दिनों के अंतर से तोड़ा.

टटेंडा टायबू को जिम्बाब्वे की जिस टेस्ट टीम की कमान मिली वो काफी कमजोर थी. ऐसे में जब 2005 में साउथ अफ्रीका दौरे पर टीम ने शर्मनाक प्रदर्शन किया तो टायबू ने सारा ठीकरा जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड पर फोड़ दिया. वो प्रेस वार्ता में देश की क्रिकेट बोर्ड के खिलाफ बोलते, उस पर गंभीर आरोप लगाते दिखे. इसका असर ये हुआ कि टायबू को तत्कालीन रॉबर्ट मुगाबे सरकार की ओर से जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं. उनकी पत्नी को किडनैप करने की कोशिश करने जैसी हरकत की गई. इन सब घटनाओं से सहमकर टायबू ने ना सिर्फ इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी बल्कि जिम्बाब्वे छोड़ने का भी फैसला कर लिया.

टायबू का ये संन्यास सिर्फ 2 साल का रहा. क्योंकि, 2007 में उन्होंने संन्यास से वापसी करते हुए जिम्बाब्वे के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया. आखिरकार, 2012 में 29 साल की उम्र में टटेंडा टायबू ने हमेशा के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट छोड़ दिया. टायबू ने जिम्बाब्वे के लिए 195 इंटरनेशनल मैच खेले, जिसमें उन्होंने 5000 से ज्यादा रन बनाए.

जिम्बाब्वे के पहले अश्वेत क्रिकेटर रहे टायबू, IPL खेलने वाले भी अपने देश के पहले खिलाड़ी बने. साल 2008 में उन्हें सौरव गांगुली की अगुवाई वाली कोलकाता नाइट राइडर्स ने 50 लाख रुपये में खरीदा. हालांकि, टटेंडा टायबू का IPL करियर ज्यादा चला नहीं. उन्होंने बस 3 मैच ही खेले, जिसमें उन्होंने 119.23 की स्ट्राइक रेट से सिर्फ 31 रन बनाए.

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