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हवा में विमान का इंजन फेल,सामने थी मौत,फिर किस चमत्कार से बचे 418 लोग?

9 अगस्त 1978…ग्रीस (Greece) का एलिनिकोन इंटरनेशनल एयरपोर्ट…ओलंपिक एयरवेज (Olyimpic Airways) की फ्लाइट-411 (जंबो जेट) ने दोपहर 2 बजे न्यू यॉर्क के जॉन एफ कैनेडी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी. 400 यात्री और 18 क्रू मेंबर्स इस फ्लाइट पर यात्रा कर रहे थे. इस यात्रा को तय करने में 12 घंटों का समय लगने वाला था. कुल दूरी थी 7922 किलोमीटर. सब कुछ नॉर्मल था. लेकिन उड़ान के महज 9 सेकंड बाद ही प्लेन का इंजन नंबर-3 फेल हो गया. इंजन से आग की लपटें निकलने लगीं. इसके अलावा प्लेन के 3 इंजन वर्किंग कंडीशन में थे.

फ्लाइट को 55 वर्षीय कैप्टन सिफिस मिगाडिस (Sifis Migadis) उड़ा रहे थे, जिनके पास 32 साल का अनुभव था. को-पायलट थे कॉन्स्टेंटिनोस “कोस्टास” फिकार्डोस (Konstantinos “Kostas” Fikardos). उन्हें भी लगभग इतने ही सालों का फ्लाइट उड़ाने का तजुर्बा था. जैसे ही इंजन नंबर-3 फेल हुआ, दोनों पायलट ने गौर किया कि प्लेन की स्पीड कम होने लगी है. कुछ ही पलों में स्पीड और भी कम हो गई. प्लेन ऊपर उठने के बजाय नीचे जाने लगा. यह देख पायलट ने बाकी के तीन इंजन की स्पीड ज्यादा कर दी. फिर भी ये प्लेन गिरने लगा.

पायलट समझ गए कि प्लेन अब क्रैश हो जाएगा. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने कोशिश की कि किसी तरह यात्रियों की जान बचाई जा सके. उन्होंने प्लेन को शहर से दूसरी तरफ घुमा दिया. प्लेन के नोज को ऊपर कर दिया ताकि यह घनी आबादी वाली जगह पर न क्रैश हो जाए. वो उसे घुमाकर ऐसी जगह ले जाने लगे जहां आबादी न हो और वे वहां प्लेन को लैंड कराने की कोशिश कर सकें.

तभी हुआ एक चमत्कार

उधर कॉकपिट में जाकर इंजीनियर चेक करने लगे कि इंजन में आखिर खराबी आई कैसे. यहीं पर कैप्टन सिफिस मिगाडिस ने अपनी बेटी को मैसेज कर दिया कि हमारा प्लेन क्रैश होने वाला है. एटीसी भी उधर कैप्टन से संपर्क बनाए हुए थी. लेकिन वो बस लाचार होकर बस उसे देख ही सकते थे. क्योंकि ऐसे में एटीसी भी उनकी मदद नहीं कर सकती थी. धीरे-धीरे प्लेन एटीसी की नजर से भी गायब हो गया. उन्हें लगा कि प्लेन क्रैश हो गया. लेकिन इसी बीच एक चमत्कार हुआ. प्लेन ने अचानक से रफ्तार पकड़ी और यह ऊपर की ओर जाने लगा. एटीसी को भी एकदम से प्लेन नजर आया तो वो भी हैरान रह गए. उनकी जान में जान आ गई.

प्लेन के नोज को किया ऊपर-नीचे

दोनों पायलट ने देखा कि आगे एक विशालकाय पर्वत है. प्लेन बेशक ऊपर उठा था लेकिन उतना भी नहीं कि पर्वत को ऊपर से पार कर जाए. इसलिए उन्होंने दिमाग से काम लिया. प्लेन को समंदर की तरफ मोड़ दिया. पायलट ने इस बीच कभी प्लेन का नोज ऊपर किया तो कभी नीचे. वो इसलिए क्योंकि जब वो नोज को नीचे कर रहे थे तो प्लेन रफ्तार पकड़ रहा था. जैसे ही रफ्तार बढ़ रही थी तो दोनों पायलट लिफ्ट करके प्लेन का नोज ऊपर कर दे रहे थे.

फ्यूल को गिराया

इसी दौरान पायलट ने एक और तरकीब अपनाई. उन्होंने प्लेन में भरा गया फ्यूल धीरे-धीरे गिराना शुरू कर दिया. ताकि प्लेन का वजन कुछ कम हो सके और ये उड़ान भरता रहे. काफी मात्रा में फ्यूल गिराने के बाद प्लेन का वजन कम हुआ और इसकी रफ्तार भी बढ़ी. दोनों पायलट ने फिर उसे एयरपोर्ट की तरफ मोड़ दिया. इस तरह धीरे-धीरे करके प्लेन को सफलतापूर्वक वापस एलिनिकोन इंटरनेशनल एयरपोर्ट में लैंड करवा दिया गया. इस तरह क्रू मेंबर्स सहित 418 लोगों की जान बाल-बाल बच गई.

लोग मानते हैं इसे चमत्कार

बाद में Boing कंपनी ने इस प्लेन के दोनों ब्लैकबॉक्स को जांच के लिए मंगवाया. उन्होंने उसमें रिकॉर्ड सब बातों को ध्यान में रखकर यह पता लगाने की कोशिश की कि आखिर चमत्कार से इतने लोगों की जान बची है या फिर इसके पीछे कुछ और ही कहानी है. उन्होंने बार-बार उन चीजों को रिपीट करके देखा तो पाया कि हर स्थिति में प्लेन जरूर क्रैश होता. लेकिन फिर भी यह क्रैश नहीं हुआ. आज तक इसके पीछे का असल कारण कोई जान ही नहीं पाया है कि कैसे इंजन में आग लगने पर भी वो एकदम से काम करने लग पड़ा. इसके बारे में आज तक कोई भी आधिकारिक रिपोर्ट भी सामने नहीं आई है. वहीं, लोग इसे बस चमत्कार और पायलटों की सूझबूझ ही मानते हैं, जिससे 418 लोगों की जान बच गई.

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