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भारतीयों ने ऐसे बजाया दुनिया में डंका, फ्रांस-चीन को पछाड़ इंडिया बना नंबर-1

दुनिया में जब आर्थिक मंदी जैसे हालात बने हुए हैं, तब भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली इकोनॉमी बनी हुई है. भारत का ये करिश्मा क्या कम था, जो अब उसने एक नया कीर्तिमान भी बना लिया है. भारत ने चीन और फ्रांस जैसे देशों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में डंका बजाया है और यूनाइटेड नेशंस के मुताबिक भारतीयों ने अपने देश सबसे ज्यादा पैसा विदेश से स्वदेश भेजा है.

यूनाइटेड नेशंस के तहत काम करने वाले ‘इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन’ (IOM) ने ‘वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट-2024’ पेश की है. इसमें 2022 के तमाम देशों के रेमिटेंस (विदेशों में काम करने वाले लोगों का स्वदेश पैसा वापस भेजना) का आंकड़ा दिया गया है.

100 अरब डॉलर को पार करने वाला पहला देश
मंगलवार को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में विदेश में बसने वाले भारतीयों ने 111 अरब डॉलर की राशि भारत वापस भेजी. इतना ही नहीं भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने एक साल में 100 अरब डॉलर से अधिक का रेमिटेंस हासिल किया है. इससे पहले लंबे समय तक चीन इस मामले में नंबर-1 की पोजिशन पर बना रहा है, लेकिन वह भी कभी 100 अरब डॉलर के स्तर को पार नहीं कर पाया.

चीन-फ्रांस सब भारत से पिछड़े
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत के बाद मेक्सिको दूसरा ऐसा देश है, जिसे 2022 में सबसे ज्यादा रेमिटेंस हासिल हुआ है. दुनिया में सबसे ज्यादा रेमिटेंस हासिल करने वाले देशों में इन दोनों के बाद चीन, फिलीपींस और फ्रांस का स्थान है.

अगर पड़ोसी मुल्कों से तुलना करने पर देखें, तो पाकिस्तान और बांग्लादेश भी सबसे ज्यादा रेमिटेंस पाने वाले दुनिया के टॉप-10 देशों में शामिल हैं. 2022 की लिस्ट में पाकिस्तान को 30 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला और वह छठे नंबर पर है. वहीं बांग्लादेश ने 21.5 अरब डॉलर का रेमिटेंस हासिल किया और वह 8वें नंबर पर रहा.

साल 2021 में ही मेक्सिको ने चीन को पछाड़कर दूसरा स्थान हासिल कर लिया था. तब भी भारत दुनिया में नंबर-1 रेमिटेंस हासिल करने वाला देश था, हालांकि तब उसने 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार नहीं किया था.

ऐसे बढ़ता गया इंडिया का रेमिटेंस
साल 2010 में भारत को रेमिटेंस के तौर पर 53.48 अरब डॉलर की ही राशि मिलती थी. इसके बाद 2015 में ये राशि 68.91 अरब डॉलर हो गई, जो 2020 में 83.15 अरब डॉलर थी. साल 2022 में इसने 111.22 अरब डॉलर के स्तर को छू लिया है. भारत से बड़ी संख्या में प्रवासी वर्कर दक्षिण पूर्वी एशिया और पश्चिमी एशिया में काम करने जाते हैं और वहां से पैसा अपने घरों को भेजते हैं.

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