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नवजात शावकों पर सो गई बाघिन, दम घुटने से 4 की मौत, बिरसा जू में हुआ हादसा

झारखंड के रांची के बिरसा जू में 12 मई की अहले सुबह एक बाघिन के चार बच्चों की मौत हो गई। दरअसल बिरसा जू में बाघों की संख्या बढ़ाने को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहे हैं। इसी के तहत गौरी नाम के बाघिन को सफेद बाघ जावा के साथ क्रॉस कराया गया था। गर्भकाल पूरा होने के बाद जब गौरी बाघिन ने बच्चों को जन्म देना शुरू किया तब चारों बच्चों की मौत हो गई।

बिरसा जू के चिकित्सक डॉ ओम प्रकाश साहू ने बताया कि गौरी नाम की बाघिन ने 11 मई की देर रात 2 बजे से बच्चों को जन्म देना शुरू किया, जिसमें पहला बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ। गौरी ने दूसरे बच्चे को रात 2.30 बजे, तीसरे को सुबह 5.30 बजे और चौथे बच्चे को सुबह 10:30 बजे जन्म दिया, लेकिन जन्म देने के बाद बाघिन ने अपने बच्चों की केयरिंग नहीं की। उसके बाद बाघिन अपने तीनों जिंदा बच्चों के ऊपर ही सो गई।

सभी चारो शावकों की मौत
आपको बता दें कि बाघ के नवजात बच्चों की आंखें 15 दिनों के बाद ही खुलती हैं। ऐसे में मां के भार से दबने के बाद बच्चों की चीख बाड़े से बाहर गूंजने लगी। हालांकि, रात में जन्म के समय से ही बाघिन की देखभाल करने वाले बिरसा जू के संजय बाड़े के बाहर ही मौजूद थे। उन्होंने बाघिन को बच्चों के ऊपर से हटाने का प्रयास किया। इसके बाद जांच के दौरान तीन बच्चों में दो मृत पाए गए। एक बच्चा जो जीवित था उसे बाड़े से निकालकर हाथ से दूध पिलाने का प्रयास किया गया, लेकिन कुछ देर बाद चौथे बच्चे की भी मौत हो गई।

इंटरनल सूजन पाया गया
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में बच्चों की छाती और गर्दन में इंटरनल सूजन पाया गया। दरअसल, बिरसा जू में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए साढे तीन महीने पहले गौरी बाघिन के साथ सफेद बाघ जावा की क्रॉसिंग कराई गई थी। बाघिन का गर्भकाल 100 से 105 दोनों का होता है। इसके बाद गौरी बाघिन ने 11 मई की रात से बच्चों को जन्म देना शुरू किया था। गौरी बाघिन को उम्र 10 साल है और उसे बिलासपुर जू से बिरसा जू लाया गया था। वर्तमान में बिरसा जू में बाघों की संख्या आठ है जिसमें दो नर और 6 मादा है।

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