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म्यूजियम में रखी 19वीं सदी की ममी के साथ ऐसा क्या हुआ? जो मेक्सिको में बना विवाद की वजह

एक म्यूजियम में संरक्षित रखी हुई ममी (Mummy) का हाथ कटने से बवाल मच गया है। राष्ट्रीय मानव विज्ञान एवं इतिहास संस्थान (INAH) ने सरकार पर आरोप लगाए हैं और इस मामले में जवाब देने को कहा है। संस्थान ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इस घटना में शामिल सभी की जवाबदेही जरूरी है और इसका जवाब देना ही होगा। साथ ही मामला कोर्ट में जाएगा।

19 से 20 सदी के हैं ये ममी

दरअसल ये मामला मैक्सिको (Mexico) का है। यहां के गुआनाजुआटो शहर के म्यूजियम में ममीकृत कंकालों को ठीक से नहीं सहेज पाने का आरोप लगाया है। राष्ट्रीय मानव विज्ञान एवं इतिहास संस्थान (INAH) ने कहा है कि हाल ही म्यूजियम के जीर्णोद्धार के दौरान एक ममीकृत (Mummy) शव का हाथ अलग हो गया। यहां रखे सभी संरक्षित शव 19वीं सदी के हैं। इस लापरवाही पर INAH मैक्सिको सरकार से जवाब मांगेगा। साथ ही पुरातत्त्व एजेंसी जीर्णोद्धार, परमिट और इसमें शामिल कर्मचारियों का ब्योरा मांगा है।

INAH ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए कहा, ये घटना इस बात की पुष्टि करती है कि जिस तरह से संग्रहालय (Museum) की वस्तुओं को स्थानांतरित किया गया, वह तरीका सही नहीं है। संग्रहालय ने सुधार और संरक्षण के तरीकों का सही ढंग से पालन नहीं किया, जिसके चलते इतना बड़ा नुकसान हुआ।

कर्मचारियों का प्रशिक्षण नहीं

INAH ने कहा, ऐसा लगता है कि उचित प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी का अभाव और जिम्मेदार कर्मियों के प्रशिक्षण में कमी के चलते ऐसा हुआ। इन कर्मियों ने यह भी नहीं बताया कि ममी (Mummy) का कौन सा हिस्सा गिरा था। बता दें कि गुआनाजुआटो राज्य की कब्रों से इन शवों को निकालकर ममीकृत किया गया था। इनमें कुछ के बाल, चमड़े जैसी त्वचा और उनके मूल कपड़े अब भी मौजूद हैं।

शवों को कब्र से निकाला गया था

संग्रहालय में मौजूद इन शवों को गुआनाजुआटो (Guanajuato) की कब्रों से 1870 से 1958 के बीच निकाला गया था। शवों को कब्र से निकालने के पीछे भी दिलचस्प कहानी है। दरअसल गुआनाजुआटो में 19वीं सदी की शुरुआत में कानून बना कि मृतक को दफनाने पर परिवारों को कर देना होगा। जो लोग कर अदा नहीं कर पाए, उनके प्रियजन के शवों को कब्रों से निकालकर एक इमारत में रखा गया। यहां की जलवायु ऐसी थी कि शव को जल्द खराब नहीं होने देती थी। 1800 के अंत में इन शवों को देखने के लिए भुगतान करना शुरू कर दिया। 1969 में इस जगह को ममियों के संग्रहालय के रूप में बदल दिया गया। 1958 में दफन कर को समाप्त कर दिया गया।

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