दुनिया के हर सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक जरूरत बन गई है. इंडस्ट्री की कोई भी कंपनी AI के इस्तेमाल में खुद को पीछे नहीं रखना चाहती. यह बात दिग्गज टेक कंपनी Apple पर भी लागू होती है. iPhone बनाने के लिए मशहूर एपल ने हाल ही में AI फीचर्स का एक प्रोग्राम ‘एपल इंटेलिजेंस’ लॉन्च किया है. एपल ने इसे खुद नहीं बनाया बल्कि ChatGPT बनाने वाली कंपनी OpenAI की मदद ली. पहले एपल की बात फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा से चल रही थी, लेकिन एपल ने इस प्लान को नकार दिया.
एआई फीचर्स के लिए एपल और मेटा की बात आगे नहीं बढ़ सकी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल मार्च में दोनों कंपनियां में बातचीत शुरू हुई लेकिन डील सफल नहीं हो पाई. इस डील के रद्द होने के पीछे कई कयास लगाए जा रहे हैं. हाल ही में एपल के मेटा के बजाय ओपनएआई को चुनने के पीछे का राज सामने आया है
एपल ने क्यों इनकार किया?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एपल ने प्राइवेसी का हवाला देते हुए मेटा की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टेक्नोलॉजी को अपने डिवाइस में शामिल करने के प्लान को खारिज कर दिया है. एपल के इस कदम के पीछे मेटा की कथित खराब प्राइवेसी आदत और लोगों की प्राइवेसी के लिए नाकाफी इंतजाम के लिए लगातार होती आलोचना को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
एपल को था ये खतरा
अगर मेटा की एआई टेक्नोलॉजी को एपल अपने डिवाइस से जोड़ती तो उसकी रेपुटेशन को नुकसान पहुंचने का खतरा था. एपल के इनकार के बावजूद मेटा अपने एप्लिकेशंस- इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप, फेसबुक और मैसेंजर के लिए खुदे के एआई पर भरोसा जताए हुए हैं. यह ऐप्स मिलकर कई अरब लोगों को सर्विस देते हैं. हाल ही में मेटा ने Meta AI को भारत में लॉन्च किया है.
एपल और ओपनएआई का साथ
एपल ने ऐलान किया कि उसने डिवाइस में एआई फीचर्स देने के लिए ओपनएआई के साथ पार्टनरशिप की है. आईफोन जैसे डिवाइस में चैटजीपीटी का सपोर्ट मिलेगा. इस कदम के साथ कंपनी अपने डिवाइस में जेनरेटिव एआई को शामिल करने की स्ट्रेटेजी पर काम कर रही है.