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बिलासपुर हाईकोर्ट ने क्यों कहा- यह क्रूरता है? इस बीमारी को छिपाकर शादी करना पड़ा भारी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है। यह याचिका शादी के बाद तलाक के लिए लगाई गई थी। इस याचिका में महिला ने कहा है कि मिर्गी की बीमारी की बात छिपाकर शादी की गई है। इस पर जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने सुनवाई की और कहा है कि ‘यह निश्चित रूप से महिला के वैवाहिक जीवन में यातना के समान है और यह हिंदु विवाह अधिनियम के तहत क्रूरता की श्रेणी में आता है।’

क्या थी याचिका?

महिला ने शादी के बाद याचिका लगाई थी, जिसमें यह बताया कि उसकी शादी 28 जून 2020 को हुई, यह शादी जांजगीर-चांपा के नवागढ़ में रहने वाले अनुराग से हुई थी। महिला का कहना है कि शादी के पहले उसे नहीं बताया गया था कि लड़के को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। यह बात तब पता चली जब शादी की रस्म चल रही थी। महिला के अनुसार शादी की रस्म चलने के दौरान ही अनुराग को मिर्गी के दौरे पड़ने लगे। जिसको लेकर महिला के परिजनों ने कड़ी आपत्ति जताई। आपत्ति जताने के बाद रस्में अधूरी छोड़ दी गई।

शादी की रस्मे अधूरी छोड़ने की बात जब अनुराग के दोस्तों को पता चली, तब अनुराग का भाई 6-7 लोगों के साथ वहां पहुंचा। महिला ने बताया कि सभी नशे की हालत में थे। धमकी देकर जबरन शादी की बाकी रस्में पूरी कराई। शादी के बाद ससुराल में उसे कम दहेज लाने को लेकर प्रताड़ित किया जाने लगा। उसे कहीं आने जाने की अनुमति नहीं दी जाती थी। यहां तक कि रक्षाबंधन के दिन भी उसे मायके नहीं जाने दिया गया। इसलिए याचिका में उसने तलाक की मांग की।

इससे पहले गौरेला- पेंड्रा – मरवाही में रहने वाली महिला ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई, इसमें पेंड्रारोड के एडीजे कोर्ट द्वारा हिंदु विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत प्रस्तुत मामले में विवाह विच्छेद की मांग नामंजूर करने को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों को मध्यस्थता केंद्र भेजा और सुलह के प्रयास किए, लेकिन यह नाकाम रहा। इसके बाद हाई कोर्ट ने दोनों से व्यक्तिगत रूप से चर्चा की, इस दौरान उन्होंने अलग होने पर सहमति दी। महिला ने गुजारा भत्ते के रूप में साढ़े सात लाख की मांग की। साथ ही स्त्रीधन वापस मांगा। हाई कोर्ट ने इसे मंजूर किया है। साथ ही उसे 7.50 लाख रुपए के साथ स्त्रीधन को वापस पाने का हकदार माना है।

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